दैनिक इंडिया न्यूज़ लखनऊ ।मुख्यमंत्री ने श्रद्धेय भाई जी को याद करते हुए कहा कि गीता प्रेस को साहित्य साधना की स्थली बनाने का श्रेय भाई जी को ही जाता है। विगत वर्ष गीता प्रेस को अपनी उपलब्धियों के लिए गांधी शांति पुरस्कार भी प्राप्त हुआ। भाई जी के नेतृत्व में गीता प्रेस ने समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों का प्रचार-प्रसार किया।
मुख्यमंत्री ने कहा, “महान व्यक्ति वही होता है जिसे 50 से 100 साल बाद भी श्रद्धा और स्नेह के साथ याद किया जाता है। आज भी भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण का स्मरण हर सनातन धर्मावलंबी करता है क्योंकि उनका व्यक्तित्व समाज, धर्म और देश की सेवा में समर्पित था। इसी प्रकार, भाई जी पिछले 53 वर्षों से हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। वे भारत की संस्कृति और गाय को कृषि एवं ऋषि व्यवस्था के सेतु के रूप में स्थापित करने में अग्रणी थे।”
मुख्यमंत्री ने वर्तमान समय में मूल्यों के क्षरण पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, “आज हम डिजिटल युग में प्रवेश कर चुके हैं, जहां हर हाथ में स्मार्टफोन और हर घर में टेलीविजन है। लेकिन इस प्रगति के बावजूद साहित्य साधना कमजोर हो रही है। समाज और सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति राष्ट्रीय आंदोलन की जो मजबूती होनी चाहिए, वह कहीं न कहीं मंद पड़ती दिखाई दे रही है।”
उन्होंने कहा कि लोक कल्याण के प्रति हमारी जिम्मेदारी बढ़ रही है। “यदि आपके पड़ोस में कोई भूखा या बिना इलाज के कष्ट में है, तो उसकी वेदना आपको भी महसूस होनी चाहिए। यही हमारा सबसे बड़ा धर्म है। समाज में लोक कल्याण की भावना को पुनः जागृत करने की आवश्यकता है, क्योंकि प्रधानमंत्री ने 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा है।”
कार्यक्रम में प्रो. (डॉ.) सच्चिदानंद जोशी, संत श्री नरहरिदास जी महाराज, डॉ. बालमुकुंद पाण्डेय, और डॉ. ओम उपाध्याय ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
गीता प्रेस: भाई जी की स्थायी धरोहर
गीता प्रेस के महत्त्व और भाई जी के योगदान को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि भाई जी का संपूर्ण जीवन लोक कल्याण और सनातन धर्म की अभिवृद्धि के लिए समर्पित था। हनुमान प्रसाद पोद्दार स्मारक समिति और हनुमान प्रसाद पोद्दार कैंसर अस्पताल उनके लोक सेवा के कार्यों को आगे बढ़ा रहे हैं।