मोदी कैबिनेट ने दी ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ को मंजूरी, राष्ट्रीय सनातन महासंघ ने किया समर्थन

दैनिक इंडिया न्यूज़ ,नई दिल्ली: देश में ‘एक देश, एक चुनाव’ (वन नेशन, वन इलेक्शन) को लेकर मोदी कैबिनेट ने आज ऐतिहासिक कदम उठाते हुए इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इस योजना को लागू करने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया गया था, जिसके अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद थे। कोविंद ने अपनी रिपोर्ट आज मोदी कैबिनेट को सौंपी, जिसके बाद इसे सर्वसम्मति से स्वीकृत कर दिया गया। हालांकि, इस प्रस्ताव को अंतिम रूप से लागू करने के लिए संविधान संशोधन और राज्यों की सहमति की भी आवश्यकता होगी, जिससे आगे का रास्ता आसान नहीं होगा।

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ‘एक देश, एक चुनाव’ की मंजूरी के बाद मीडिया को जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 1951 से 1967 तक देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होते थे। वैष्णव ने कहा, “हम अगले कुछ महीनों में इस मुद्दे पर आम सहमति बनाने की कोशिश करेंगे ताकि इसे सफलतापूर्वक लागू किया जा सके।”

80% जनता और 32 राजनीतिक दलों का समर्थन

वैष्णव ने आगे जानकारी दी कि ‘एक देश, एक चुनाव’ पर गठित समिति ने 191 दिनों तक गहन अध्ययन किया और 21,558 लोगों से इस विषय पर राय ली। इनमें से 80% लोगों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया, जबकि 47 में से 32 राजनीतिक दल भी इसके पक्ष में हैं। समिति ने अपने काम के दौरान पूर्व मुख्य न्यायाधीशों, हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों, चुनाव आयुक्तों और राज्य चुनाव आयुक्तों से भी सलाह-मशविरा किया। उन्होंने यह भी बताया कि इस प्रस्ताव को दो चरणों में लागू किया जाएगा। पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाएंगे, जबकि दूसरे चरण में स्थानीय निकायों (पंचायत और नगरपालिका) के चुनाव होंगे।

राष्ट्रीय सनातन महासंघ का समर्थन

‘एक देश, एक चुनाव’ के समर्थन में राष्ट्रीय सनातन महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष जितेंद्र प्रताप सिंह ने भी अपनी सहमति जताई है। उन्होंने कहा, “राष्ट्रीय सनातन महासंघ इस महत्वपूर्ण कदम का समर्थन करता है, क्योंकि यह देश की चुनावी प्रक्रिया को सरल बनाने और संसाधनों की बचत करने में मदद करेगा। यह राष्ट्र की एकता और अखंडता को सशक्त करेगा और लोकतांत्रिक व्यवस्था को और भी मजबूत बनाएगा।”

जितेंद्र प्रताप सिंह ने यह भी कहा कि इस योजना से सरकारें अधिक स्थिर होंगी और लंबे समय तक विकास कार्यों पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगी। राष्ट्रीय सनातन महासंघ की ओर से ‘एक देश, एक चुनाव’ के इस प्रस्ताव को सराहा गया है और इसे राष्ट्रीय सुरक्षा और सामंजस्य को बढ़ाने वाला कदम बताया गया है।

आगे की राह

‘एक देश, एक चुनाव’ की योजना को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए संविधान में आवश्यक संशोधन और राज्यों की स्वीकृति लेना अनिवार्य है। इस प्रक्रिया को लागू करने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच व्यापक चर्चा और सहमति आवश्यक होगी।

देश में एक साथ चुनाव कराने की यह योजना न केवल चुनावी खर्च में कटौती करेगी, बल्कि राजनीतिक अस्थिरता को भी कम करेगी। आने वाले समय में इस प्रस्ताव के क्रियान्वयन पर सभी की नजरें टिकी रहेंगी, क्योंकि यह भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक बड़ा बदलाव साबित हो सकता है।

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