दैनिक इंडिया न्यूज,18 NOV 2024 लखनऊ स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय के 9वां दीक्षांत समारोह राज्यपाल की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। मुख्य अतिथि के रूप में सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लास्टिक इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (CIPET) के डीजी प्रो. शिशिर सिन्हा ने भी भाग लिया, जिन्हें डीलिट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्य, उच्च शिक्षा राज्यमंत्री रजनी तिवारी, कुलपति प्रो. नरेंद्र बहादुर सिंह, राष्ट्रीय सनातन महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी सिंह सहित कई अन्य गणमान्य अतिथि मौजूद रहे।
समारोह में कुल 1431 छात्रों को डिग्री प्रदान की गई, जिनमें 149 मेडल शामिल थे। प्रो. एनबी सिंह ने बताया कि मेडल पाने वाले छात्रों में 89 छात्राएं और 43 छात्र हैं, और इन छात्रों को 61 गोल्ड, 45 सिल्वर, और 43 कांस्य पदक दिए गए। इसके अतिरिक्त 21 शोधार्थियों को पीएचडी की उपाधि भी दी गई।
राज्यपाल ने अपने संबोधन में शिक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, “डिग्री केवल सफलता का प्रमाण नहीं है, बल्कि यह समाज और राष्ट्र के प्रति आपके कर्तव्यों की शुरुआत है।” राज्यपाल ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चल रही सरकार के प्रयासों को सराहा और NIRF (National Institutional Ranking Framework) रैंकिंग का उल्लेख करते हुए कहा कि वर्तमान सरकार के प्रयासों से भारत उच्च शिक्षा में तेजी से प्रगति कर रहा है। उन्होंने उत्तर प्रदेश के 12 विश्वविद्यालयों का भी उल्लेख किया, जिन्हें A++ रैंकिंग प्राप्त हुई है। इसके साथ ही उन्होंने भारतीय विश्वविद्यालयों को NIRF रैंकिंग के माध्यम से उच्च स्थान दिलाने की दिशा में चल रहे प्रयासों की सराहना की।
राज्यपाल ने वर्तमान पीढ़ी के बच्चों की शिक्षा पर तंज कसते हुए कहा कि आज के बच्चों को अपने विषय के अलावा व्यावहारिक राष्ट्रीय और भौगोलिक ज्ञान का अभाव महसूस हो रहा है। उन्होंने कहा कि आज की सरकारें विश्वविद्यालयों में पाठ्यक्रम के अलावा नई शिक्षा नीति को ध्यान में रखते हुए पुरानी किताबों का संग्रह करवा रही हैं, ताकि हम ज्ञान के उच्च शिखर तक पहुंच सकें।
राज्यपाल ने बच्चों से यह भी कहा, “अगर आपके माता-पिता खाली बैठते हैं, तो उन्हें भी किताबें पढ़ने के लिए प्रेरित करें, क्योंकि ज्ञान ही हमें उच्च शिखर तक पहुंचा सकता है।” उन्होंने छात्रों को अपनी जड़ों से जुड़े रहने और अपनी शिक्षा को भारतीय संस्कृति के अनुरूप बढ़ावा देने की प्रेरणा दी।
इसके अलावा, विश्वविद्यालय ने अवध क्षेत्र की लोकसंस्कृति और भाषा के विकास के लिए अवधी शोध पीठ की स्थापना की घोषणा की। साथ ही, विश्वविद्यालय ने भारतीय भाषाओं में पाठ्यक्रम प्रारंभ करने की योजना बनाई है।
समारोह के अंत में राष्ट्रगान के पश्चात भोजनोपरांत कार्यक्रम का समापन हुआ, जिसमें विश्वविद्यालय के अधिकारी, शिक्षक, विद्यार्थी और उनके परिजन बड़ी संख्या में उपस्थित थे।