रामायण मेले को नई ऊंचाई पर ले जाने की आवश्यकता: मुख्यमंत्री

दैनिक इंडिया न्यूज़ ,अयोध्या, 5 दिसंबर 2024: मुख्यमंत्री ने श्रीराम जानकी विवाहोत्सव के अवसर पर आयोजित रामायण मेले को नई ऊंचाई पर ले जाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि हजारों वर्षों की हमारी सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी आज भी हमारे ऋषि-मुनियों, संतों, और विद्वानों की स्मृति का हिस्सा है। श्रीराम के अयोध्या धाम में अवतरण से हजारों वर्ष पूर्व की यह विरासत हमारे गौरवशाली अतीत को दर्शाती है।

मुख्यमंत्री ने रामायण मेले के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यह आयोजन हमारी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित और प्रोत्साहित करता है। उन्होंने आयोजन समिति से इस दिशा में शोध कार्यों को बढ़ावा देने और कार्यक्रमों को नई दिशा देने की अपील की। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार चित्रकूट धाम, महर्षि वाल्मीकि के जन्म स्थान लालापुर, और संत तुलसीदास के जन्म स्थान राजापुर के सौंदर्यीकरण के कार्यों को प्राथमिकता दे रही है। यह कार्य हमारी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री के ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ अभियान के तहत प्रदेश सरकार अपनी भूमिका को निभाने के लिए प्रतिबद्ध है।”

रामायण पर शोध और विरासत का संरक्षण आवश्यक
मुख्यमंत्री ने कहा कि इतिहास को जानने और संरक्षित करने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि 5000 वर्ष पूर्व महाभारत हुई और इससे हजारों वर्ष पूर्व श्रीराम का अयोध्या में अवतरण हुआ। उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग हमारे इतिहास को नहीं जानते, वे अपनी सुविधानुसार तिथियां निकालते हैं। रामायण मेले के माध्यम से हमारी सांस्कृतिक धरोहर को नई ऊंचाई प्रदान करना समय की आवश्यकता है।


इस अवसर पर कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, महंत कमलनयन दास, जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य, जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी राघवाचार्य, महंत अवधेशदास, और डॉ. रामविलास वेदांती समेत अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।


मुख्यमंत्री ने श्रीराम जन्मभूमि मंदिर और श्री हनुमानगढ़ी मंदिर में दर्शन-पूजन किया। इसके बाद उन्होंने जानकी महल में आयोजित श्रीराम जानकी विवाहोत्सव कार्यक्रम में भाग लिया और श्रद्धालुओं को संबोधित किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह आयोजन न केवल हमारी सांस्कृतिक धरोहर का सम्मान है बल्कि आने वाली पीढ़ियों को इस विरासत से जोड़ने का भी माध्यम है।

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