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दिल्ली में अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन का भव्य उद्घाटन
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दैनिक इंडिया न्यूज़,नई दिल्ली, 21 फरवरी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं है, बल्कि यह संस्कृति की संवाहक भी होती है। भारतीय भाषाओं ने एक-दूसरे को समृद्ध किया है और भाषाई एकता को मजबूत किया है। मराठी भाषा ने न केवल महाराष्ट्र बल्कि पूरे देश के महान विचारकों को अभिव्यक्ति देकर सांस्कृतिक निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि मराठी भाषा को अभिजात भाषा का दर्जा मिलने से यह सम्मेलन और भी महत्वपूर्ण हो गया है।
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दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित 98वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। इस अवसर पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, वरिष्ठ नेता शरद पवार, सम्मेलन की अध्यक्ष डॉ. तारा भवाळकर, पूर्व अध्यक्ष डॉ. रविंद्र शोभणे, अखिल भारतीय मराठी साहित्य महासंघ की अध्यक्ष प्रो. उषा तांबे, महासचिव डॉ. उज्ज्वला मेहेंदळे, कोषाध्यक्ष प्रकाश पागे और सम्मेलन के निमंत्रक संजय नहार सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
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मराठी भाषा का ऐतिहासिक योगदान
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मराठी भाषा ने समाज सुधारकों और स्वतंत्रता सेनानियों को एक नई ऊर्जा दी है। छत्रपति शिवाजी महाराज, संत ज्ञानेश्वर, संत तुकाराम, महात्मा फुले, सावित्रीबाई फुले, लोकमान्य तिलक और वीर सावरकर जैसे महान व्यक्तित्वों ने इस भाषा के माध्यम से समाज में क्रांति लाई। उन्होंने कहा कि गुलामी के दौर में मराठी भाषा संघर्ष और स्वतंत्रता की प्रतीक बनी।
मोदी ने कहा कि ज्ञानेश्वर ने “माझ्या मराठाचि बोलू कौतुके, अमृताते पैजा जिंके” कहकर मराठी भाषा की गरिमा को सर्वोच्च स्थान दिया। उन्होंने यह भी बताया कि मराठी में वीरता, सौंदर्य, संवेदनशीलता, आध्यात्म और आधुनिकता का अनूठा समावेश है। मराठी साहित्य ने दलित साहित्य को समृद्ध किया और समाज को नई दिशा दी।
मराठी भाषा और विकास
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज मराठी भाषा उच्च शिक्षा, विज्ञान और आर्थिक क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। मुंबई न केवल भारत की आर्थिक राजधानी है, बल्कि यह मराठी और हिंदी फिल्म उद्योग का भी केंद्र है। उन्होंने कहा कि सरकार मातृभाषा में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने पर कार्य कर रही है ताकि युवा अपनी भाषा में शिक्षा प्राप्त कर सकें।
- स्वभाषा के प्रति गर्व शिवाजी महाराज से सीखा: फडणवीस
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि मराठी भाषा को अभिजात भाषा का दर्जा मिलने के बाद दिल्ली में यह सम्मेलन आयोजित होना गर्व की बात है। उन्होंने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने प्रशासन में मराठी भाषा को प्रमुखता देकर स्वभाषा का सम्मान किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मराठी भाषा ने अपनी व्यापकता के कारण पूरे देश में अपनी पहचान बनाई है।
संस्कृति को जोड़ने का कार्य करें भाषाएं: भवाळकर
सम्मेलन की अध्यक्ष डॉ. तारा भवाळकर ने कहा कि भाषा केवल बोलने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह लोगों को जोड़ने का कार्य करती है। उन्होंने कहा कि संतों ने मराठी भाषा को जन-जन तक पहुंचाया और इसे समृद्ध किया। भाषा का विकास तभी संभव है जब लोग इसे आत्मसात करें और इसका सम्मान करें।
साहित्य का समाज पर प्रभाव: शरद पवार
वरिष्ठ नेता शरद पवार ने कहा कि मराठी साहित्य ने समाज सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि महिलाओं का साहित्य में योगदान सराहनीय है और नई पीढ़ी को साहित्य से जोड़ने के लिए आधुनिक माध्यमों का प्रयोग किया जाना चाहिए।
सम्मेलन में साहित्य, भाषा और संस्कृति पर विस्तृत चर्चा की गई। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विठ्ठल की प्रतिमा भेंट की गई, जो महाराष्ट्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। सम्मेलन का समापन संत ज्ञानेश्वर के “पसायदान” से किया गया।
इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री प्रतापराव जाधव, विधान परिषद के सभापति प्रो. राम शिंदे, पूर्व गृह मंत्री सुशीलकुमार शिंदे, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष शिवराज पाटील, विनय सहस्रबुद्धे सहित कई प्रमुख हस्तियां उपस्थित थीं।