वायु प्रदूषण — साइलेंट किलर से भी खतरनाक, हर सांस में छिपा है दिल की बीमारी का खतरा!

दैनिक इंडिया न्यूज़, नई दिल्ली।वायु प्रदूषण — एक ऐसा अदृश्य दुश्मन जो हर सांस के साथ शरीर के भीतर घुसकर धीरे-धीरे जीवन को कमज़ोर करता जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषित हवा में मौजूद सूक्ष्म कण (PM 2.5), नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और ओज़ोन जैसे रासायनिक तत्व हमारे शरीर में पहुंचकर “फ्री रेडिकल्स” नामक हानिकारक अणुओं का निर्माण करते हैं। ये फ्री रेडिकल्स शरीर की कोशिकाओं से इलेक्ट्रॉन छीन लेते हैं, जिससे कोशिकाएँ अस्थिर हो जाती हैं और एक श्रृंखलाबद्ध ऑक्सीडेटिव प्रक्रिया (Oxidative Chain Reaction) शुरू होती है। यह चेन शरीर में तब तक फैलती रहती है जब तक कोई ऐंटीऑक्सीडेंट इसे रोक न दे। यही प्रक्रिया धीरे-धीरे ऊतकों को नष्ट करती है, धमनियों की दीवारों को कठोर बनाती है और हृदय रोग, स्ट्रोक तथा कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ाती है।

वैज्ञानिकों का मानना है कि वायु प्रदूषण से बने ये फ्री रेडिकल्स शरीर के लिए किसी ज़हरीली गैस से कम नहीं हैं। ये रक्त में घुलकर कोशिकाओं पर हमला करते हैं और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस (Oxidative Stress) नामक स्थिति उत्पन्न करते हैं। इस तनाव के कारण प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर पड़ता है, कोशिकाओं की मरम्मत की क्षमता घट जाती है और हृदय की पेशियों में सूजन आने लगती है। यही कारण है कि प्रदूषण वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में हृदय रोग, अस्थमा, ब्रेन स्ट्रोक और यहां तक कि मधुमेह के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं।

लेकिन राहत की बात यह है कि इस “ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस” से लड़ने के लिए हमारे पास एक प्राकृतिक हथियार मौजूद है — ऐंटीऑक्सीडेंट्स। ऐंटीऑक्सीडेंट्स फ्री रेडिकल्स की श्रृंखला को तोड़कर कोशिकाओं की रक्षा करते हैं और शरीर को फिर से संतुलन में लाते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, अपने भोजन में विटामिन C, विटामिन E, बीटा-कैरोटीन, ओमेगा-3 फैटी एसिड, सेलेनियम, और जिंक को शामिल करने से शरीर के भीतर ऐंटीऑक्सीडेंट की मात्रा बढ़ती है, जिससे फ्री रेडिकल्स का प्रभाव लगभग निष्क्रिय हो जाता है।

यदि कोई व्यक्ति वायु प्रदूषण से आसानी से बचना चाहता है, तो उसे ऐसे ऑर्गेनिक (Organic) सप्लीमेंट्स का सेवन करना चाहिए जो इन पोषक तत्वों से भरपूर हों। प्राकृतिक स्रोतों से बने ये ऑर्गेनिक सप्लीमेंट शरीर की कोशिकाओं को ऊर्जा देते हैं, क्षतिग्रस्त ऊतकों की मरम्मत करते हैं और फेफड़ों व हृदय को प्रदूषणजनित क्षति से बचाते हैं। साफ हवा भले हमारे नियंत्रण में न हो, लेकिन अपने शरीर को भीतर से मज़बूत बनाना पूरी तरह हमारे हाथ में है — और यही हमें इस “साइलेंट किलर” के प्रहार से सुरक्षित रख सकता है।

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