दैनिक इंडिया न्यूज़, लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश के संस्कृत विद्यालयों और महाविद्यालयों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं के लिए वर्ष 2001 से लागू वर्तमान छात्रवृत्ति दरों में संशोधन का निर्णय लिया है। मंत्रिपरिषद ने नई दरों के अनुसार छात्रवृत्ति दिए जाने का प्रस्ताव स्वीकृत किया है, जिससे लगभग 1,21,573 विद्यार्थी लाभान्वित होंगे।
संशोधित दरों के तहत, प्रथमा स्तर पर कक्षा 6 और 7 के लिए 50 रुपये, कक्षा 8 के लिए 75 रुपये, पूर्व मध्यमा (कक्षा 9 और 10) के लिए 100 रुपये, उत्तर मध्यमा (कक्षा 11 और 12) के लिए 150 रुपये, शास्त्री स्तर के लिए 200 रुपये, और आचार्य स्तर के लिए 250 रुपये प्रतिमाह की छात्रवृत्ति दी जाएगी।
मंत्रिपरिषद ने मुख्यमंत्री को प्रस्तावित दरों, प्रक्रिया, और व्यवस्था में संशोधन का अधिकार भी सौंपा है। इस संशोधन से सरकार पर अनुमानित रूप से 19.66 करोड़ रुपये का व्यय होगा।
वर्तमान वित्तीय वर्ष 2024-25 में यह छात्रवृत्ति योजना ऑफ़लाइन रूप में क्रियान्वित की जाएगी, जबकि आगामी वित्तीय वर्ष से इसे ऑनलाइन लागू करने का निर्णय लिया गया है।
संस्कृतभारती न्यास, अवध प्रांत के अध्यक्ष जितेंद्र प्रताप सिंह ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने इसे संस्कृत शिक्षा के प्रसार और विद्यार्थियों के मध्य रुचि, प्रोत्साहन एवं उत्थान के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने संस्कृत शिक्षण को रोजगारपरक बनाने के लिए सरकार द्वारा पूर्व में लिए गए निर्णय के अंतर्गत प्रारंभ किए गए डिप्लोमा पाठ्यक्रम को प्रोत्साहित किए जाने की सराहना करते हुए इसके प्रचार-प्रसार के लिए कार्य करने पर बल दिया।
श्री शिव प्रसाद संस्कृत महाविद्यालय, लखनऊ के प्राचार्य डॉ. विनोद मिश्रा ने भी मुख्यमंत्री के इस निर्णय की सराहना की है। उन्होंने कहा, “आज तक किसी मुख्यमंत्री ने संस्कृत शिक्षा के उत्थान के लिए ऐसा कार्य नहीं किया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जितना धन्यवाद दिया जाए, वह कम है। अगर सरकार से इस प्रकार का प्रोत्साहन मिलता रहा तो हमारे देश और प्रदेश में संस्कृत शिक्षा के भव्य और दिव्य युग का अवतरण हो सकेगा।”