दैनिक इंडिया न्यूज़ ,लखनऊ: DAV कॉलेज में आयोजित 108 कुंडी यज्ञ और श्रीमद् भागवत महापुराण का समापन समारोह भव्य रूप से संपन्न हुआ। मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख स्वान्त रंजन और विशिष्ट अतिथियों में राष्ट्रीय सनातन महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष जितेंद्र प्रताप सिंह तथा राज्यसभा सांसद अशोक बाजपेई उपस्थित रहे।
यज्ञ का आयोजन सनातन परंपरा के प्रचार-प्रसार ,राष्ट्र रक्षा और पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए किया गया। इस दौरान वैदिक मंत्रोच्चार और हवन की सुगंध ने वातावरण को पवित्र कर दिया। यज्ञ संपन्न होने के बाद सम्मान समारोह और व्याख्यान का आयोजन किया गया।
जितेंद्र प्रताप सिंह का व्याख्यान: यज्ञ और पर्यावरण का संतुलन
यज्ञ संपन्न होने के बाद मंच पर बुलाए जाने पर राष्ट्रीय सनातन महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष जितेंद्र प्रताप सिंह ने सभा को संबोधित किया। उन्होंने यज्ञ के महत्व और पर्यावरण पर उसके सकारात्मक प्रभावों पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा, “यज्ञ केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह पर्यावरण को शुद्ध करने का एक वैज्ञानिक माध्यम है। यज्ञ के माध्यम से हम प्रकृति को जो अर्पित करते हैं, वह समाज और पर्यावरण के रूप में कई गुना लौटता है।”
श्रीमद् भागवत महापुराण का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने यज्ञ को धर्म, प्रकृति और मानवता के बीच संतुलन का साधन बताया है। उन्होंने सभा को यह प्रेरणा दी कि यज्ञ जैसे आयोजनों के माध्यम से समाज को प्रकृति के प्रति जागरूक किया जाना चाहिए।
अशोक बाजपेई का वक्तव्य: सनातन परंपरा का संरक्षण
कार्यक्रम के दौरान राज्यसभा सांसद अशोक बाजपेई ने यज्ञ को सनातन धर्म की शक्ति और समाज की एकता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा, “यज्ञ केवल आध्यात्मिक साधना नहीं, यह समाज को स्वच्छता और अनुशासन का संदेश देता है। हमें इस परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए।”
उन्होंने यज्ञ के पर्यावरणीय और सामाजिक लाभों पर जोर देते हुए कहा कि ऐसे आयोजन नई पीढ़ी को अपने सांस्कृतिक मूल्यों से जोड़ने का सशक्त माध्यम हैं।
कार्यक्रम के दौरान जितेंद्र प्रताप सिंह, स्वान्त रंजन और अशोक बाजपेई को मंच पर अंगवस्त्र, स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। स्वान रंजन ने जितेंद्र प्रताप सिंह के नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा कि उनका प्रयास सनातन धर्म के पुनरुत्थान में अत्यंत महत्वपूर्ण है।
कार्यक्रम का समापन भक्तजनों को प्रसाद वितरण और सनातन धर्म के आदर्शों के प्रचार के साथ हुआ। उपस्थित जनसमूह ने इसे आध्यात्मिक जागरूकता और पर्यावरण संरक्षण के लिए एक अनुकरणीय पहल बताया।