हृदय नारायण दीक्षित
उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष श्री हृदय नारायण दीक्षित से आज विधान भवन स्थित टंडन हॉल में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे अपर सत्र न्यायाधीशों ने भेंट की।
श्री दीक्षित ने प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए हुए प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे न्यायाधीशों, अपर सत्र न्यायाधीशों को संबोधित करते हुए कहा कि देश में न्यायिक व्यवस्था के प्रति जनसामान्य में बहुत ही आस्था का भाव है। वे आज भी न्यायपालिका के प्रति सम्मान प्रदर्शित करते हुए ईश्वर के रूप में मानते हैं। न्यायिक सेवा के अधिकारियों पर जनता के विश्वास और आस्था को बनाए रखने का अहम दायित्व है।
न्यायपालिका में मामलों के निस्तारण में विलंब होने से जनता को समय से न्याय नहीं मिल पाता। जनता में निराशा की भावना व्याप्त होती है। न्यायालयों में प्रायः बायकाट भी होते रहते हैं। इससे भी न्यायिक प्रक्रिया प्रभावित होती है। इसमें भी सुधार हेतु न्यायिक अधिकारियों को आगे आना चाहिए।
श्री अध्यक्ष ने कहा कि भारत में विधि के शासन की कल्पना हमारे संविधान में की गयी है और भारत की न्यायपालिका की प्रतिष्ठा की बराबरी दुनिया में कोई देश नहीं कर सकता है। इसलिए न्यायिक अधिकारियों का प्रयास होना चाहिए कि सब जगह से थक हारकर व्यक्ति जब न्यायालय की शरण में जाए तो उसे सरल और त्वरित न्याय मिल सके।
प्रशिक्षण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रशिक्षण के द्वारा अधिकारियों के ज्ञान, बुद्धि और विवेक का रूपांतरण होता है। लेकिन असली प्रशिक्षण न्यायालय में काम करते हुए वादकारियों के बीच होता है। आप सब गरीब और आमजन को न्याय देकर उनके कल्याण के लिए कार्य करते हैं। श्री अध्यक्ष ने सभी मा0 न्यायाधीशों से इसके प्रति सजग रहने की अपेक्षा की।
उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सभापति श्री मानवेंद्र सिंह जी ने भी इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हर जरूरतमंद को सुलभ न्याय अवश्य मिलना चाहिए। उन्होंने न्यायिक सेवा के अधिकारियों से यह अपेक्षा की कि जनता के हित में, जनता की सेवा और न्याय के लिए प्रतिबद्धता के साथ अपने कर्तव्य का निर्वहन करें।