सार
मुख्यमंत्री ने कालीचरण पी0जी0 कॉलेज में श्रद्धेय लालजी टण्डन की कांस्य प्रतिमा का अनावरण किया। इसके साथ ही, वह यहां विस्तार भवन का नामकरण ‘लालजी टण्डन भवन’ कर दिया। मुख्यमंत्री ने बताया कि श्रद्धेय टण्डन जी ने अपने पुरुषार्थ और परिश्रम से शून्य से शिखर की यात्रा की थी और यही उनकी महानता का मानक बन गया। उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी जी के विकास के प्रतिमान को भी आगे बढ़ाते हुए अपनी यात्रा तय की थी। लालजी टण्डन फाउण्डेशन ने उनकी स्मृतियों को जीवंत रखने के लिए अनेक सामाजिक कार्यक्रम आगे बढ़ाए हैं। इस सम्बंध में राज्य सरकार ने हजरतगंज में नगर विकास की परिकल्पना को साकार करते हुए उनकी भव्य प्रतिमा को स्थापित किया है। कालीचरण महाविद्यालय का 118 वर्षों का इतिहास है और यह अनेक साहित्यकारों, राजनीतिज्ञों, समाज सेवकों और वैज्ञानिकों को जन्म देने वाला शिक्षण संस्थान है।
विस्तार
हरिंद्र सिंह दैनिक इंडिया न्यूज़ लखनऊ ।मुख्यमंत्री ने कालीचरण पी0जी0 कॉलेज में श्रद्धेय श्री लालजी टण्डन की कांस्य प्रतिमा का अनावरण करने के उपरान्त इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने श्रद्धेय श्री लालजी टण्डन के नाम पर कालीचरण महाविद्यालय के शताब्दी विस्तार भवन का नामकरण ‘लालजी टण्डन भवन’ किया। मुख्यमंत्री जी ने प्रतिमा का निर्माण करने वाले जयपुर के कलाकार श्री राजेश भण्डारी को सम्मानित भी किया।
उन्होंने कहा कि लालजी टंडन का सफर शून्य से शिखर तक रहा वे अपने पुरुषार्थ से कामयाबी हासिल किये थे। टंडन जी अटल बिहारी बाजपेई जी के कंधे से कंधा मिलाकर अटल जी के सिद्धांतों को लोगों के बीच में रखते थे लखनऊ के सभी लोगों की टंडन जी से स्मृतियां जुड़ी हुई हैं
मुख्यमंत्री ने कहा कि लखनऊ नगर महापालिका के पार्षद तथा एक सामान्य कार्यकर्ता के रूप में श्रद्धेय श्री लालजी टण्डन ने अपनी यात्रा प्रारम्भ की। वे एक सामान्य कार्यकर्ता से लेकर शिखर तक पहुंचे, लेकिन अहंकार उन्हें छू नहीं पाया। उनमें जीवनपर्यन्त सादगी तथा आत्मीयता झलकती हुई दिखायी दी। यही कारण है कि उनके प्रशंसकों तथा शुभचिन्तकों के मन में श्री टण्डन की स्मृतियों के प्रति सदैव आत्मीय भाव बना रहता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस समय जो भी कार्य श्रद्धेय टण्डन जी को दिया गया, उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। अयोध्या मामलों के प्रभारी मंत्री के रूप में श्री टण्डन का कार्य नये अनुभव का सृजन करता है। श्री टण्डन के कार्यकाल में अलग-अलग समय में प्रयागराज में कुम्भ का आयोजन हुआ था। कुम्भ की व्यवस्था को अच्छा बनाये रखने के लिए उस समय उनके द्वारा अनेक कार्य आगे बढ़ाये गये थे। वर्ष 2019 में श्री सुरेश कुमार खन्ना जी के नेतृत्व में हमारी टीम को प्रयागराज कुम्भ के आयोजन का अवसर प्राप्त हुआ था। इसमें श्री टण्डन का उस समय का वह अनुभव हमारे उपयोग में आया। प्रयागराज कुम्भ-2019 नयी आभा के साथ देश और दुनिया में दिव्य और भव्य कुम्भ के रूप में आयोजित हुआ था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज हम यहां श्रद्धेय लालजी टण्डन की पावन जयन्ती के अवसर पर एकत्र होकर उनका स्मरण कर रहे हैं। टण्डन जी की स्मृतियों को जीवन्त बनाये रखने के लिए लालजी टण्डन फाउण्डेशन ने अनेक सामाजिक कार्यक्रम आगे बढ़ाये हैं। इन्हीं कार्यक्रमों की श्रृंखला में आज यह आयोजन सम्पन्न हुआ है। श्री आशुतोष टण्डन ने फाउण्डेशन के अध्यक्ष तथा एक योग्य पुत्र के रूप में अपने दायित्वों का कुशलतापूर्वक निर्वहन किया है। पिता की स्मृतियां बनी रहे, एक पुत्र अपने पिता के लिए इससे अच्छा और क्या कर सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्यपाल के रूप में पटना तथा भोपाल में भी श्री टण्डन जी की लखनऊ के प्रति आत्मीयता देखते ही बनती थी। राज्य सरकार ने हजरतगंज में नगर विकास की परिकल्पना को साकार करते हुए श्रद्धेय लालजी टण्डन की भव्य प्रतिमा स्थापित की है। आज यहां टण्डन जी की प्रतिमा का स्थापित होना और नये भवन का नामकरण स्व0 टण्डन जी के नाम पर होना, यह अन्य लोगों के लिए एक मानक है। यह टण्डन जी के योगदान के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का एक तरीका है। यही हम भारतीयों की पहचान है कि हम किसी के उपकार के लिए उसे मूर्तरूप प्रदान करते हुए कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं। मूर्ति का निर्माण एवं भवन का नामकरण उसी मूर्तता का प्रमाण है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कालीचरण महाविद्यालय का 118 वर्षां का इतिहास है। इसके साथ टण्डन जी का लम्बा जुड़ाव रहा है। यह संस्थान आजादी के आन्दोलन का साक्षी रहा है। वर्ष 1905 में अंग्रेजों की कुटिलता के कारण बंग-भंग के माध्यम से देश के विभाजन की नींव रखी गयी थी। उस समय देश में तिलक जी के नेतृत्व में आन्दोलन चला था। तिलक जी ने बाद में वर्ष 1916 में यहीं लखनऊ से देश का आह्वान करते हुए ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा’ का नारा दिया था। इससे पूर्व ही वर्ष 1905 में बंग-भंग के खिलाफ देश के विभाजन को रोकने के लिए आन्दोलन चल रहा था, दूसरी ओर एक प्राइमरी स्कूल के रूप में कालीचरण महाविद्यालय और इण्टर कॉलेज की नींव वर्ष 1905 में ही रखी गयी। इसके पश्चात जूनियर हाईस्कूल, इण्टर कॉलेज तथा महाविद्यालय के रूप में आज यह विख्यात है। यहां 5,500 से अधिक विद्यार्थी अध्ययन कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश ने आजादी के आन्दोलन में अपना योगदान दिया। लखनऊ का ‘काकोरी ट्रेन ऐक्शन’ कोई नहीं भूल सकता। पं0 राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में चन्द्रशेखर आजाद, अशफाक उल्ला खां और ठाकुर रोशन सिंह, राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी तथा अनगिनत क्रान्तिकारियों ने देश की आजादी के लिए अपने को बलिदान कर दिया। इस लड़ाई को आगे बढ़ाने के लिए कालीचरण महाविद्यालय जैसी संस्थानों का बड़ा योगदान रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कालीचरण महाविद्यालय अनेक साहित्यकारों, वैज्ञानिकों, समाजसेवियों और राजनीतिज्ञों को जन्म देने वाला शिक्षण संस्थान है। लगभग 03 दशक तक श्रद्धेय लालजी टण्डन जी के सान्निध्य में इस संस्थान ने नई ऊँचाइयों को प्राप्त किया। यहां से अनेक प्रसिद्ध साहित्यकार और वैज्ञानिक निकले हैं। स्व0 श्याम सुन्दर दास जी अपने समय के हिन्दी गद्य के प्रख्यात साहित्यकार थे। उन्होंने इस संस्थान के पहले प्राचार्य के रूप में काम किया था। पं0 मदन मोहन मालवीय जी, श्याम सुन्दर दास जी को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में हिन्दी के विभागाध्यक्ष के रूप में लेकर गये थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा समाज में परिवर्तन का माध्यम है। शिक्षा के क्षेत्र में जितना योगदान होगा, उतना ही परिवर्तन जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में दिखायी देगा। आज उत्तर प्रदेश की बेसिक, माध्यमिक तथा उच्च शिक्षा में आमूलचूल परिवर्तन हुआ है। आज प्रदेश में जो परिवर्तन आया है, शिक्षा इसका मूल है। शिक्षा के क्षेत्र में किया गया योगदान स्मृतियों को जीवन्त बनाये रखने के साथ ही अमरत्व प्रदान करने का एक माध्यम है। मुख्यमंत्री जी ने विश्वास व्यक्त किया कि कालीचरण महाविद्यालय का प्रबन्धन श्री लालजी टण्डन के आदर्शां को अंगीकार करते हुए संस्थान के विकास के लिए तन्मयता के साथ काम करेगा।
कार्यक्रम में विधान सभा अध्यक्ष सतीश महाना, केन्द्रीय आवासन और शहरी कार्य राज्य मंत्री कौशल किशोर, उप मुख्यमंत्री श्री ब्रजेश पाठक, वित्त मंत्री श्री सुरेश खन्ना, पूर्व उप मुख्यमंत्री डॉ0 दिनेश शर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
इस अवसर पर जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, लालजी टण्डन फाउण्डेशन के अध्यक्ष एवं विधायक आशुतोष टण्डन ,संस्कृत भारती न्यास अवध प्रान्त के अध्यक्ष जेपी सिंह सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण, शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी, शिक्षक तथा विद्यार्थी उपस्थित थे।