हरिंद्र सिंह/डीडी इंडिया
लखनऊ।उत्तर प्रदेश संस्कृत भारती न्यास के अध्यक्ष श्री जे.पी सिंह इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारों हो रहे अत्याचार पर अंकुश लगाने हेतु ,ज्ञापन द्वारा महामहिम राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल जी माननीय प्रधानमंत्री भारत सरकार को ये पत्र एक आम हिन्दू भारतीय का है।हिन्दू पहले और भारतीय शब्द का बाद में प्रयोग इसलिए किया गया है क्योंकि आज धर्म ही व्यक्ति की पहचान बन गया है।
श्रीमान मै आपका ध्यान कश्मीर की उस घटना की तरफ दिलाना चाहता हूँ, जहाँ धार्मिक पहचान के आधार पर दो शिक्षकों की दिन-दहाड़े क्रूरतापूर्वक हत्या कर दी गई। आज मै वहाँ से सैकड़ो किलोमीटर दूर उत्तर प्रदेश में असुरक्षा महसूस कर रहा हूँ क्योंकि मै भी एक हिन्दू हूँ। कल मेरी धार्मिक पहचान भी मेरी हत्या का कारण बन सकता है,ऐसा ही असुरक्षा मुझे अपने परिवार और पूरे हिन्दू समाज को लेकर हो रही है
90 के दशक में हिन्दुओं, विशेषकर कश्मीरी पंडितों का जो नरसंहार हुआ है वो पूरी मानव सभ्यता के सबसे कलंकित अध्यायों में से एक है। आपकी सरकार ने जब धारा 370 का कलंक संविधान के माथे से हटाया तो राष्ट्र के मन में एक बेहतर कल की उम्मीद जगी। किंतु इन चुनिंदा हत्यायों ने समाज में एक भय और जुगुप्सा का माहौल पैदा कर दिया है।
मै एक आम नागरिक की हैसियत से आपसे माँग करता हूँ कि इस विषय पर सरकार इस तरह प्रतिक्रिया दें कि वो इन चरमपंथी इस्लामिक ताकतों में दुबारा ऐसी हिमाकत करने की हिम्मत तोड़ दें।
शब्दकल्पद्रुम कोष के अनुसार, “हीनं दूषयति इति हिन्दू:” अर्थात् जो हीनता को स्वीकार न करे, वह हिंदू है. हम अभी भी इन कट्टरपंथीयों की तरह हीन नहीं हुए हैं।लेकिन हमारा पक्ष न्याय की माँग अवश्य करता हैं।
जरथ्रुस्थ कहते हैं, “इतिहास का तात्पर्य सत् और असत् के बीच निरंतर संघर्ष है। अंत में सत् की विजय इतिहास का चरम लक्ष्य है.” अब इतिहास आपकी तरफ प्रश्नवाचक मुद्रा से देख रहा है कि क्या आप उसके लक्ष्य की प्राप्ति के पथिक बनेगें या आसुरी शक्तियां यूँ राष्ट्र और हिन्दू समाज का ध्वँस जारी रखेगी। आपके उत्तर की प्रतीक्षा में… जे. पी. सिंह