“संस्कृत, सभी की भाषा है, ज्ञान का उद्भवक है”

संस्कृतं भाषा सर्वेषां, ज्ञानस्य प्रभवोद्भवा-नरेंद्र सिंह कश्यप मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार

दैनिक इंडिया न्यूज़ लखनऊ ।संस्कृत भारतीय न्यास के तत्वाधान में विशाल भंडारे का आयोजन अवध प्रांत न्यास अध्यक्ष श्री जेपी सिंह की अध्यक्षता में किया गया था जिसमे मुख्य अतिथि श्री नरेन्द्र कश्यप मंत्री सहित विशिष्ट अतिथि श्री दया शंकर सिंह मंत्री,श्री अशोक बाजपेई राज्य सभा सदस्य, श्रीमती सुषमा खर्कवाल नवनिर्वाचित महापौर ,श्री महेन्द्र सिंह विधान परिषद सदस्य, श्री पवन सिंह चौहान विधान परिषद सदस्य व स्वामी कौशिक जी महराज चिन्मयानन्द आश्रम,श्रीमती संयुक्ता भाटिया पूर्व महापौर ने सहभागिता कर आयोजन को गरिमामय बना दिया।

संस्कृत भाषा विश्वभर में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यह भाषा न केवल भारतीय सभ्यता का महत्वपूर्ण हिस्सा है, बल्क विश्व की मानवीयता की एक मूल धारा भी है। विशिष्ट अतिथि श्री महेन्द्र सिंह जी ने सही ढंग से कहा है कि संस्कृत सभी की भाषा है, क्योंकि इसकी महत्वपूर्ण भूमिका ज्ञान के उद्भव में है।

संस्कृत भाषा को अत्यंत संपूर्णता और उच्चतमता की भाषा माना जाता है। इसका विकास बहुत पूर्व इतिहास में हुआ और यह भाषा वेद, उपनिषद, धर्मग्रंथों, दर्शनशास्त्रों, काव्य, नाटक, वैज्ञानिक ग्रंथों, और विविध साहित्यिक और वैज्ञानिक कृतियों के रूप में प्रतिष्ठित हुआ।

संस्कृत की विशेषता यह है कि इसमें संगठित व्याकरण, प्रत्यय, धातुओं, और शब्दरचना की विशेष ज्ञान प्रणाली है। इसके ध्वनियां और व्याकरण नियम बहुत सूक्ष्म होते हैं, इसके साथ ही, संस्कृत के शब्दों और व्याकरण के माध्यम से विचारों को स्पष्ट और प्रभावी ढंग से व्यक्त किया जा सकता है। यह भाषा संस्कृति, विज्ञान, चिकित्सा, योग, ज्योतिष, गणित, अर्थशास्त्र, नैतिकता, और धार्मिक तत्त्वों के क्षेत्र में गहन ज्ञान को संजोया है।

संस्कृत भाषा का अध्ययन करने से हमें हमारी धार्मिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक विरासत का संचालन मिलता है। इसके साथ ही, यह एक विचारशील भाषा होने के कारण यह हमें विचारों की सूक्ष्मता, लक्ष्यता, और व्यापारिकता की प्राप्ति में मदद करती है। संस्कृत के माध्यम से हम अपनी पूर्वजों की सोच, विचारधारा और महत्वपूर्ण ज्ञान को संजीवनी दे सकते हैं।

नरेंद्र सिंह कश्यप जी ने कहा कि संस्कृत भाषा समस्त भाषाओ की मूल भाषा है व साहित्य अभिप्रेत किया है उन्होंने कहा कि संस्कृत सभी की भाषा है और ज्ञान का उद्भवक है।

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