जॉइंट डिफेंस डायलॉग: सेना और उद्योग के बीच स्वावलंबन बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम

ग्रिन्गो तकनीक से इंडिजीन उत्पादन की ओर : अब भारतीय सुरक्षा क्षेत्र में खुल रहे नये द्वार

दैनिक इंडिया न्यूज लखनऊ। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के त्रिदिवसीय लखनऊ प्रवास के दूसरे दिन, सेंट्रल कमांड, इकोनॉमिक्स टाइम्स और स्ट्राइवस ने साथ मिलकर आत्मनिर्भर भारत कार्यक्रम के अंतर्गत एक संयुक्त रूप से डिफेंस डायलॉग का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी 17 जून को सुबह 10:30 बजे सूर्या क्लब कैंट में आयोजित हुई। इस संयोजन में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने मुख्य अतिथि के रूप में सेना के अधिकारियों, इकोनॉमिक्स टाइम्स, स्ट्राइव और आमंत्रित महान लोगों को अपने संबोधन से संबोधित किया। इस अवसर पर जनरल एन एस राजा सुबरामनी, आर्मी कमांडर सेंट्रल कमांड, सुषमा खर्कवाल महापौर लखनऊ, जे पी सिंह सदस्य उत्तर प्रदेश माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद और सेना के वर्तमान और सेवानिवृत्त अधिकारियों ने रक्षामंत्री के संबोधन का लाभ उठाया। राजनाथ सिंह ने कहा कि वर्तमान परिदृश्य में सेना को आत्मनिर्भर बनाना अत्यंत आवश्यक है।

रक्षा मंत्री ने कहा तकनीकी विदेशी होती है, तो गोपनीय सूचनाएं रखना मुश्किल हो जाता है और युद्ध सामग्री में विशिष्ट चिप्स लगी होने की संभावना हो सकती है। साथ ही, आपकी लोकेशन और डिप्लॉयमेंट अन्य राष्ट्रों के साथ साझा होने की आशंका बनी रहती है। इसलिए, अब हम अपनी स्वदेशी तकनीक और शोध के माध्यम से गुणवत्ता और उच्च स्तरीय सुरक्षित रक्षा उपकरणों के निर्माण में सफलतापूर्वक निर्बाध आगे बढ़ रहे हैं। परिणामस्वरूप, भारत एक 16 हजार करोड़ रुपये के निर्यात वाला राष्ट्र बन चुका है और शीघ्र ही 20 हजार करोड़ रुपये के निर्यातक बन जाएगा।

हम इसी क्रम में डिफेंस कोरिडोर का विकास कर रहे हैं और बड़ी संख्या में निवेशकों को रक्षा संबंधी इकाइयों की स्थापना कर रहे हैं। उन्होंने इस क्रम में आंकड़े प्रस्तुत करते हुए भारत के आत्मनिर्भर होने को प्रमाणित किया है और आने वाले समय में सेना और राष्ट्र दोनों को सशक्त बना कर एक मजबूत राष्ट्र निर्माण करेंगे। यह कार्यक्रम भारतीय रक्षा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन का प्रतीक है, जहां आत्मनिर्भरता और सुरक्षा के मामले में अद्यतन और सुधार की दिशा में कठिन कदम उठाए जा रहे हैं। राजनाथ सिंह ने यह भी व्यक्त किया कि सेना को आत्मनिर्भरता के संकल्प को बढ़ावा देना उचित है, ताकि वह आपातकालीन स्थितियों में भी अपनी आवश्यकताओं को पूरा कर सके। संबोधन के अंत में, राजनाथ सिंह ने देश के सुरक्षा बलों को साथियों, सामरिक उद्योग और अन्य स्थानीय उद्यमियों के सहयोग की आवश्यकता को भी महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि यह संगठनात्मक जुटाव सुनिश्चित करेगा कि विभिन्न क्षेत्रों के बीच विज्ञान, तकनीक, और उद्यमिता के क्षेत्र में साझा अनुसंधान और विकास हो सके। इस प्रयास से हम एक सशक्त, सुरक्षित और आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ रहे हैं।

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