3 दिवसीय राष्ट्रीय विधायक सम्मेलन में महाना ने 9 राज्यों के विधायकों को चुनाव जीतने का दिया मूल मन्त्र
दैनिक इंडिया न्यूज लखनऊ। जन-सभाओं में, चाहे वे छोटी हों या बड़ी, लोगों की अपेक्षाएं समान होती हैं। इसलिए, सभी विधायकों को एक आदत बनानी चाहिए – छोटे से लेकर बड़े धैर्यपूर्वक हर जनसमस्या को सुनने की। जब जन-विश्वास खो जाता है, तो विधायक असफलता का सामना करता है, जो उनके जीवन की सबसे बड़ी हार होती है।
यह बातें उ. प्र. विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना पहली बार आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय विधायक सम्मेलन के अंतिम दिन कहीं।
वे मुंबई के “आर्ट एंड क्राफ्ट आफ डेवलपिंग योर कांस्टीट्यूएंसी” सत्र के दौरान उपस्थित नौ राज्यों के विधायकों को बार-बार चुनाव जीतने के सुझाव दे रहे थें।
उन्होंने कहा कि पहली बार तो चुनाव जीता जा सकता है पर अगली बार चुनाव जीतने के लिए चुनौतियां बढ़ जाती हैं। महाना ने कहा कि जीवन में विश्वास से बड़ी कोई पूंजी नही होती है। जो व्यक्ति कोई काम लेकर आता है तो उसकी भावनाओं को ध्यान में रखकर उसकी बात जरूर सुने। जिस तरह एक डाक्टर अपने रोगी की बात को जब ध्यानपूर्वक सुनता है तो रोगी की तो आधी बीमारी उस वक़्त मानों खत्म ही हो जाती है, उसी तरह एक विधायक भी अपने क्षेत्र का डाक्टर होता है। इसलिए उसे हर एक की समस्या को गौरपूर्वक सुनना चाहिए। जो भी आपके पास अपनी समस्या को लेकर आया है तो उसको नजरंदाज नहीं करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इस डिजिटल युग में जनता विधायक की हर गतिविधि पर अपनी पैनी नजर रखती है। इसलिए जन-भावनाओं के अनुरूप ही चले। जनता जो देखना चाहती है उसे वही दिखाने का काम करे। उन्होंने विधायकों को यह भी बताया कि इस बात का भी पूरा ख्याल रखे कि जो लोग आपके आसपास है, उनका जनता के प्रति व्यवहार कैसा है क्योंकि उनके व्यवहार का प्रभाव आपकी छवि पर भी पड़ता है। इस मौके पर युवा एवं खेल कल्याण मंत्री अनुराग ठाकुर ने आनलाइन इस सत्र को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि विधायक केंद्र और राज्य की योजनाओं से हमेशा अवगत रहे। जिससे सरकारी योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ उस क्षेत्र की जनता को मिल सके। कई बार योजनाओं की जानकारी न होने पर लाभार्थियों को योजनाएं का लाभ तक नहीं मिल पाता है। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि किसी विधायक को राजनीतिक भावना से जनता के साथ व्यवहार नही करना चाहिए। ठाकुर ने आगे कहा कि एक विधायक को हमेशा सीखते रहना चाहिए। 1991 से लगातार विधायक और विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना जैसे व्यक्तित्व से सीख लेनी चाहिए। वो तब से विधायक है जब मोबाइल नही था। सब कुछ बदल गया, पर उनका व्यवहार आज भी वही है। जो 32 वर्ष पहले था। इस मौके पर अलग-अलग राज्यों के विधायकों के साथ सवाल जवाब हुए। कार्यक्रम के दौरान गोवा के सामाजिक कल्याण मंत्री सुभाष फल देसाई ने भी पैनल डिस्कशन में हिस्सा लिया।