लोकतंत्र सेनानी कल्याण समिति ने मांग की- सरकार नौ अगस्त को राष्ट्रीय पर्व घोषित करे
दैनिक इंडिया न्यूज लखनऊ।लोकतंत्र सेनानी कल्याण समिति, उत्तर प्रदेश के संरक्षक, विधान परिषद सदस्य यशवंत सिंह ने कहा है कि भारतीय लोकतंत्र की रक्षा में लोकतंत्र सेनानियों का अविस्मरणीय योगदान रहा है। यह योगदान केवल सन् पचहत्तर – सतहत्तर तक सीमित नहीं है। इसकी वजह से आगे भी कोई तानाशाह हमारे लोकतंत्र की तरफ टेढ़ी नज़र से देखने की हिम्मत नहीं करेगा।
उन्होंने कहा कि इस देश में जो सम्मान स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए स्वतन्त्रता संग्राम सेनानियों को हासिल है, वही सम्मान लोकतंत्र रक्षा संग्राम में भाग लेने के लिए लोकतंत्र सेनानियों को भी हासिल है। इस सम्मान की वजह से हमारी आपकी जिम्मेदारी भी बड़ी है।
अंग्रेजों भारत छोड़ो दिवस के अवसर पर मंगलवार को दारुलशफा के कामनहाल में हुए लोकतंत्र सेनानी सम्मेलन में बतौर मुख्यअतिथि विधान परिषद सदस्य यशवंत सिंह ने कहा कि आज हम यह गर्व के साथ कह सकते हैं कि लोकतंत्र सेनानी कल्याण समिति, उत्तर प्रदेश ने अपनी इस बड़ी जिम्मेदारी का अबतक ठीक से निर्वाह किया है। इसके तहत समिति ने राष्ट्रहित में चीन निर्मित सामानों के बहिष्कार का प्रभावी आंदोलन चलाया।
उन्होंने कहा कि अब इस आंदोलन को गाँव स्तर पर ले जाने की जरूरत है। विधान परिषद सदस्य यशवन्त सिंह ने कहा कि समिति ने भारतीय संस्कृति और भारत के गौरवशाली अतीत को सम्मान देने के लिए “जय हस्तिनापुर अभियान” भी चलाया जिसे भारत सरकार और उत्तरप्रदेश सरकार ने भी संज्ञान में लिया। उन्होंने यह भी कहा कि यह अभियान फिर चलाने की जरूरत है।
इस अवसर पर सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन के शहीदों को श्रद्धान्जलि दी गयी तथा भारत सरकार से नौ अगस्त को राष्ट्रीय पर्व घोषित करने की मांग की गयी। सम्मेलन की अध्यक्षता समिति के प्रदेश अध्यक्ष रामसेवक यादव ने की। संचालन सचिव आर पी अवस्थी ने किया। सम्मेलन को लोकतंत्र सेनानी धीरेन्द्र नाथ श्रीवास्तव, कृष्णदत्त पाठक, सुरेंद्र सिंह एडवोकेट, विनोद कुमार कामिल, हरिश्चन्द्र राय, सुरेंद्र बहादुर सिंह, उमाशंकर वर्मा, मुस्तफा हुसैन, प्रशांत मिश्र, रामकृष्ण राठौर, रामेश्वर दयाल, दीनानाथ वर्मा, स्वतंत्र देव सिंह, रामप्रकाश शर्मा, रामआधार यादव, उदयवीर सिंह चौहान, सुभाष जायसवाल, देवेंद्र प्रसाद सिंह, राधे लाल वाजपेयी, दुर्गा प्रसाद, रामरानी, सहदेव सिंह, बाबू राम त्यागी, पवन जैन, अशोक गुप्ता, सरदार सुखवीर सिंह और युसूफ खां आदि ने भी सम्बोधित किया।