ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी के माध्यम से स्थापित हो रहीं परियोजनाएं लिखने जा रहीं उत्तर प्रदेश के विकास की नई गाथा
10 लाख करोड़ से अधिक धनराशि की 14 हजार से अधिक परियोजनाओं के धरातल पर उतरने से प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मिलेगा सुपर बूस्ट-अप
देश की अर्थव्यवस्था में 9.2 प्रतिशत की हिस्सेदारी में होगी वृद्धि, देश और दुनिया में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को लेकर स्थिति होगी मजबूत
- मैन्युफैक्चरिंग, ईवी, टूरिज्म, एनर्जी, फॉर्मा समेत अनेक सेक्टर्स का हब बनेगा उत्तर प्रदेश, निवेशकों के लिए बनेगा ड्रीम डेस्टिनेशन
दैनिक इंडिया न्यूज,लखनऊ। ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी (जीबीसी 4.0) के माध्यम से उत्तर प्रदेश विकास की नई गाथा लिखने जा रहा है। प्रदेश में 10 लाख करोड़ से अधिक धनराशि की 14 हजार से अधिक परियोजनाओं के धरातल पर उतरने से न सिर्फ विकास को गति मिलने जा रही है, बल्कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी सुपर बूस्टअप मिलेगा। देश की अर्थव्यवस्था में अभी उत्तर प्रदेश 9.2 प्रतिशत का योगदान दे रहा है। जीबीसी के बाद इसमें और वृद्धि होगी और दूसरे स्थान पर यूपी की स्थिति और मजबूत होगी। प्रदेश में मैन्युफैक्चरिंग, ईवी, फॉर्मा, एनर्जी, डाटा सेंटर, एमएसएमई, रिन्यूएबल एनर्जी, रीयर एस्टेट, वेस्ट मैनेजमेंट समेत अनेक सेक्टर्स में प्रदेश का दबदबा बढ़ेगा और विकास नई ऊंचाइयों पर पहुंचेगा। कुल मिलाकर उत्तर प्रदेश, देश के ग्रोथ इंजन बनने के अपने संकल्प की पूर्ति के और करीब पहुंचेगा।
निवेश परियोजनाओं से बढ़ेगी यूपी की स्ट्रेंथ
19 फरवरी को जिन निवेश परियोजनाओं को सीएम योगी ने धरातल पर उतारा है, उनमें सर्वाधिक 21 प्रतिशत मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर से संबंधित हैं। इसका मतलब ये है कि उत्तर प्रदेश अब बड़े पैमाने पर प्रोडक्ट्स की मैन्युफैक्चरिंग करेगा और अगर ये कहा जाए कि यूपी मैन्युफैक्चरिंग का हब बनेगा तो गलत नहीं होगा। इसके अतिरिक्त रिन्यूएबल एनर्जी में 13 प्रतिशत, आईटी एंड इलेक्ट्रॉनिक्स में 9 प्रतिशत, पावर में 8 प्रतिशत, फूड प्रॉसेसिंग में 6 प्रतिशत, रीयल एस्टेट में 6 प्रतिशत, एमएसएमई में 5 प्रतिशत, हॉस्पिटैलिटी एंड एंटरटेनमेंट में 3 प्रतिशत, वेस्ट मैनेजमेंट में 3 प्रतिशत और एजुकेशन में 3 प्रतिशत निवेश हुआ है। जाहिर है इन सभी सेक्टर्स में यूपी की स्ट्रेंथ बढ़ेगी, अधिक वर्कफोर्स लगेगा, जिसका सीधा लाभ प्रदेश के विकास और इसकी अर्थव्यवस्था को होगा। इसके अतिरिक्त हेल्थकेयर, वुड बेस्ड इंडस्ट्रीज, डिस्टलरीज, डेयरी, कोऑपरेटिव्स, हैंडलूम एंड टेक्सटाइल, फॉर्मा एंड मेडिकल डिवाइस और एनीमल हस्बैंड्री जैसे सेक्टर्स में भी बड़े पैमाने पर निवेश अर्थव्यवस्था को गति देने में सहायक होगा।
स्पेंडिंग पावर, सेविंग्स और टैक्स कलेक्शन में होगी वृद्धि
14 हजार से ज्यादा निवेश परियोजनाओं के धरातल पर उतरने से 34 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। विशेषज्ञों की मानें तो किसी प्रदेश में रोजगार बढ़ने से वहां लोगों की स्पेंडिंग पावर, सेविंग्स और टैक्स में वृद्धि होती है जो सीधे अर्थव्यवस्ता को सकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। जब लोगों के पास अधिक पैसे होते हैं, तो वे अधिक खरीदारी करते हैं, जिससे उत्पादन और सेवा के लिए मांग बढ़ती है। यह फिर उत्पादन को बढ़ावा देने और नए नौकरियों को उत्पन्न करने में मदद करता है। इसके साथ ही, लोगों की सेविंग्स भी बढ़ती है, जो उनके भविष्य के लिए आर्थिक सुरक्षा का स्रोत बनती है। यह उन्हें आने वाले संकटों या आने वाले अवसरों के लिए तैयार रखने में मदद करता है। इसके अलावा, जब लोगों की इनकम बढ़ती है तो टैक्स कलेक्शन में भी वृद्धि होती है, जिससे सरकार को और अधिक धन उपलब्ध होता है जिससे उसे आम लोगों के लिए हितकारी योजनाएं बनाने में मदद मिलती है। इस प्रकार,एक समृद्ध अर्थव्यवस्था की दिशा में यह महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।
यूपी का पर्यटन बनेगा गेम चेंजर
जीबीसी 4.0 के तहत यूपी के पर्यटन स्थलों पर भी विकास परियोजनाओं का शुभारंभ हुआ है। पर्यटन स्थलों पर विकास होने से यहां पर्यटकों का आमद बढ़ेगी, जिससे इन स्थलों की इकॉनमी में वृद्धि होगी और लोगों को रोजगार मिलेगा। उदाहरण के तौर पर अयोध्या में प्रभु श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद से अब तक 60 से 65 लाख लोगों ने यहां दर्शन किए हैं। देश ही नहीं, विदेशों से राम भक्त दर्शनों के लिए आ रहे हैं। अनुमान है कि पर्यटकों के मामले में अकेले अयोध्या ही मक्का और वेटिकन सिटी जैसे दुनिया के बड़े धार्मिक स्थलों को पीछे छोड़ देगा। काशी और मथुरा-वृंदावन भी इस मामले में पीछे नहीं हैं। प्रयागराज में अगले वर्ष लाखों-करोड़ों लोग महाकुंभ में स्नान करेंगे। जाहिर तौर पर जो पर्यटक उत्तर प्रदेश आएंगे वो होटल, रेस्त्रां समेत विभिन्न मदों में पैसा खर्च करेंगे जिससे उस स्थल के साथ-साथ प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी लाभ होगा। इसके साथ ही निवेशकों का भी उत्साह बढ़ेगा और वो अपने उद्यमों का विस्तार करेंगे।
अर्थव्यवस्था की रीढ़ बनेंगी एमएसएमई इकाइयां
जीबीसी 4.0 के ताजा आंकड़ों पर नजर डालें तो एमएसएमई के तहत 5 प्रतिशत निवेश परियोजनाओं का भी शुभारंभ हुआ है। प्रदेश में अभी 96 लाख से अधिक एमएसएमई यूनिट्स हैं। नए प्रोजेक्ट्स की शुरुआत के साथ अब इनका एक करोड़ के पार जाना सुनिश्चित है। छोटे उद्योग न सिर्फ प्रदेश की, बल्कि पूरे देश की सबसे बड़ी ताकत हैं। इसे भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहा जाता है। यूपी की अर्थव्यवस्था में भी एमएसएमई का महत्वपूर्ण योगदान है। यह प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। खासकर रूरल एरियाज में इसके माध्यम से व्यापक रोजगार सृजित होते हैं, जिसे अब और रफ्तार मिलेगी। उत्तर प्रदेश सरकार ने एमएसएमई सेक्टर को समर्थन देने के लिए विभिन्न योजनाओं और अनुदानों की शुरुआत की है। इससे उद्यमियों को वित्तीय सहायता और तकनीकी सहायता प्राप्त होती है। इसी वजह से बड़ी संख्या में एमएसएमई को लेकर यूपी में निवेश हो रहा है, जो प्रदेश के विकास में नया आयाम स्थापित करेगा।
- रोजगार चाहिए तो उत्तर प्रदेश आइए
उत्तर प्रदेश में जो बदलाव आया है, उसके बाद उद्यमी भी मानने लगे हैं कि उनका निवेश उत्तर प्रदेश में सुरक्षित है। जीबीसी के माध्यम से न सिर्फ राज्य स्तर पर लखनऊ में बल्कि प्रत्येक जनपद में निवेश सम्मेलन आयोजित कराने का योगी सरकार का प्रयोग सफल रहा है। इसके माध्यम से उत्तर प्रदेश के सभी 75 जनपदों में निवेश आ रहा है, जिससे राज्य के हर जनपद में रोजगार के नए अवसर सृजित हुए हैं। इससे प्रदेश के समावेशी विकास को गति मिल रही है। देश की 56 प्रतिशत कामगार आबादी वाला उत्तर प्रदेश अब भारत के अर्थ शक्ति पुंज वाला प्रदेश बनने की ओर अग्रसर है। तमिलनाडु के त्रिपुर जिले में टेक्सटाइल सेक्टर में काम करने वाले 60,000 हजार कामगार इसी वर्ष अपने गृह राज्य उत्तर प्रदेश आ चुके हैं। ये उत्तर प्रदेश के बदले हुए परिवेश को बताता है। आज उत्तर प्रदेश की पहचान जॉब क्रिएटर स्टेट के तौर पर हो रही है। अब लोग कहने लगे हैं कि रोजगार चाहिए तो उत्तर प्रदेश आइए।