फैशन और प्रदर्शन से मुक्त करके भक्तों को रामत्व से जोड़ेगी श्रीराम कथा
मानस मर्मज्ञ आचार्य मुरारी बापू सात दिवसीय श्रीराम कथा का करेंगे वाचन
दैनिक इंडिया न्यूज लखनऊ। मानस मर्मज्ञ आचार्य देव मुरारी बापू ने राष्ट्रीय सनातन महासंघ के संचालक हरिन्द्र कुमार सिंह को बताया कि सात दिन चलने वाली श्री राम कथा की पूर्व संध्या पर आज भगवान श्रीराम की महिमा का वर्णन किया जायेगा। बापू ने बताया श्री राम कण-कण में रमण करने वाली शक्ति हैं। श्रीराम की कथा श्रवण करने से इंसान सरलता से भवसागर पार हो जाता है। उन्होंने कथा के महत्व वर्णन करते हुए कहा प्रभु श्रीराम की कथा श्रवण करने भगवान भोलेनाथ तक ऋषि अगस्त्य के आश्रम पधारते हैं और पावन पुनीत कथा श्रवण कर अपने को धन्य अनुभव करते हैं। उन्होंने कहा श्रीराम कथा एवं श्रीराम चरित मानस गूढ़ रहस्यों से भरी है, इसमें धरा के महामंत्र गायत्री मंत्र का ही विस्तार समाया है।
देव मुरारी बापू ने हरिन्द्र कुमार सिंह को बताया कि श्रीराम इस ब्रह्माण्ड के कण कण में में सदैव व्याप्त रहने वाली शाश्वत सत्ता हैं। वे अजन्मा हैं, जिसका न जन्म होता है, न ही मरण। श्रीराम की कथा हर स्रोता को संशय रहित करती है। पक्षीराज गरुड़ को भगवान राम और लक्ष्मण का नागपाश काटने का दिव्य अवसर मिलने पर, जब उनमें संशय पैदा हुआ। तब हनुमान जी की प्रेरणा से वे भगवान भोलेनाथ के पास गए और प्रभु की कथा सुनकर संशय मुत्तफ़ हुए।
उन्होंने कहा श्रीराम अवतारी हैं, क्योंकि हर साधारण व्यत्तिफ़ की मृत्यु पर उसके नाम के आगे स्वर्गीय लगता है, लेकिन अवतारी पुरुष द्वारा अपनी लीला समेट कर इस धरा से जाने के बाद वह सत्ता अजर-अमर-अविनाशी कही जाती है। इसीलिए इस धरा पर जो भी अविनाशी सत्ता की कथा श्रवण करके अपने जीवन में चरितार्थ करते हैं, उनका भी जीवन धन्य हो जाता है।
राष्ट्रीय संतान महासंघ के संचालक से बातचीत के दौरान महाराज श्री देव मुरारी बापू जी ने प्रभु श्री राम का सौंदर्य वर्णन करते हुये कहा- श्यामसुन्दर छबि, तरुण अवस्था, कुछ-कुछ अरुणाई लिये बड़ी-बड़ी आँखो वाले भगवान श्रीराम की चाल मतवाले हाथी-जैसी है। घुटनों तक लंबी भुजाएँ, कंधे सिंह के समान, महान बल वाले श्रीराम की कान्ति समस्त प्राणियों के मन को मोह लेने वाली है। उन्होंने बताया कि श्रीरामचन्द्र जी ने ग्यारह हजार वर्षों तक राज्य किया, उनके राज्य शासनकाल में समस्त प्रजा राममय थी। श्रीराम के प्रताप से सारा जगत राममय हो रहा था।
मानस मर्मज्ञ श्री देव ने बताया कि श्रीराम जी ने चारों वर्णों की प्रजा को सदैव प्रभु के चिंतन-मनन एवं प्रभु की चर्चा में डूबने का संदेश देकर स्वयं परम धाम को गमन किया। अब तक चली आ रही कथा परम्परायें प्रभु के संदेश का विस्तार है। उन्होंने कहा हमारे सनातन में अपनी परिश्रम की कमाई का दशांश इन कथाओं के आयोजन सहित विविध धर्म कार्य में लगाने की परम्परा रही है। पर आज का दौर मनोरंजन प्रधान होपर आज का दौर मनोरंजन प्रधान हो रहा है। लोग रूढ़ियों, मान्यताओं, जीर्ण-शीर्ण व दूषित परम्पराओं के नाम पर अपना धन फैशन-प्रदर्शन में उड़ा रहे हैं। खर्चीली-दिखावा वाली शादियों पब-क्लब संस्कृति से जुडे़ डांस आदि में अपनी अर्जित शक्ति को बहा रहे हैं,जिससे धर्म घट रहा है। गोस्वामी तुलसीदास जी ने कितनी सरलता से धर्म शब्द का अर्थ बताया है, लेकिन फिर भी आज हम सब के लिए धर्म पर चलना कितना कठिन होता जा रहा है।
श्री रामचरित मानस के उत्तर काण्ड में कलियुग का वर्णन करते हुए गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज लिखते हैं-
दोहा – कलिमल ग्रसे धर्म सब लुप्त भए सदग्रंथ ।
दंभिन्ह निज मति कल्पि करि प्रकट किए बहु पंथ ।।
कलियुग के पापों ने सब धर्मों को ग्रस लिया, सद्ग्रंथ लुप्त हो गए, दम्भियों ने अपनी बुद्धि से कल्पना कर-करके बहुत से पंथ प्रकट कर दिए॥
महाराज जी ने राष्ट्रीय संतान महासंघ के संचालक हरिन्द्र कुमार सिंह से बताया कि ऐसे ही अनेक प्रकार की विसंगतियों से समाज को मुक्त कराने हेतु इन श्रीराम कथाओं के जगह जगह अभियान स्तर पर आयोजन होने चाहिए। अधिक से अधिक भक्त इस कथा का भी लाभ लें यही ईश्वर से प्रार्थना है। कथा के पहले दिन के यजमान उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक
के साथ-साथ जगद्गुरु स्वामी श्री अवधेश प्रपन्नाचार्य जी महाराज शांतिपिठाधीश्वर दिल्ली भी मौजूद रहेंगे।