जीवन के किसी भी क्षेत्र में थोड़ी मेहनत और कम समय में सफलता पाने के लिए याद रखें ये तीन सूत्र

दैनिक इंडिया न्यूज, लखनऊ।आज का दौर कम समय में अधिक काम करने का है, बिना ज्यादा थके अधिकतम परिणाम पाने की प्रतिस्पर्धा है।समय संयम आज के दौर की सबसे बड़ी मांग है। किसी भी कर्मचारी से कंपनी तभी खुश है जब वह कम प्रयासों और न्यूनतम समय में अधिकतम परिणाम देता है।

कई बार देखा गया है हमें अपने कामों का पूरा परिणाम नहीं मिलता। ऐसी स्थितियां व्यक्तित्व में झुंझलाहट ही पैदा करती हैं। जब हमारे व्यक्तित्व में तीखापन आ जाता है तो हर बात पर फिर गुस्सा आना शुरू हो जाता है चारों तरफ़ अंधेरा ही अंधेरा दिखाई देता है।

अल्प प्रयास और कम समय में सफलता पाने के ये तीन सूत्र हैं

अपने कामों की प्लानिंग कीजिए, सिर्फ काम मत कीजिए। अधिकांश लोग बिना मार्गदर्शन के ही लक्ष्य सिद्धि के लिए निकल पड़ते हैं। ऐसे में असफलता ही मिलती है। जब भी कोई लक्ष्य साधने निकले तो आपको तरीका पता होना चाहिए।

अहंकार छोड़े और लक्ष्य पर टिके

ये समस्या लगभग हर व्यक्ति के साथ है कि वो अपने अहंकार से बाहर निकलने को तैयार नहीं है। कभी-कभी छोटी-छोटी बातों पर लोग अड़ जाते हैं, झुकना पसंद नहीं करते अहंकार रूपी मल्ल स्वक्ष वातावरण में जाने नही देता है। इससे बहस और तनाव का वातावरण बन जाता है और लक्ष्य अपने आप ही दूर हो जाता है। समय और ऊर्जा बचना चाहते हैं तो अहंकार रूपी मल्ल को त्यागें।

जिम्मेदारियों का करें सही बंटवारा

काम की सफलता और असफलता इस बात पर भी निर्भर करती है कि हम जिम्मेदारी सौंप किसे रहे हैं। जब भी हम कोई लक्ष्य तय करें तो उससे जुड़ी जिम्मेदारियों का बंटवारा सहयोगियों की योग्यता और रुचि के अनुसार करें। अयोग्य लोगों को जिम्मेदारियां देना हमारे लिए अनचाही परेशानियां खड़ी कर सकता है, लक्ष्य से भटका सकता है। जिम्मेदारी पात्र को ही दें।

प्रतिभा, परिश्रम और प्रतीक्षा

ये तीन बातें हमारे व्यक्तित्व में होना बहुत जरुरी है। प्रतिभा काम में रुचि जगाती है, परिश्रम काम की गति को तेज करता है और प्रतिक्षा परिणाम को परिपक्व होने में सहातया करती है। अगर पहली दो बातें व्यक्ति में हों और प्रतिक्षा का धैर्य ना हो तो काम का पूरा फल मिलने में संदेह होता है। जिस व्यक्ति में धैर्य नहीं होता वो व्यक्ति अक्सर जल्दबाजी में काम के परिणाम को प्रभावित करते हुये असफलता को गले लगता है।

उदाहरण स्वरूपी श्लोक

उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः। न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगा:।।

व्यक्ति के मेहनत करने से ही उसके काम पूरे होते हैं, सिर्फ इच्छा करने से उसके काम पूरे नहीं होते। जैसे सोये हुए शेर के मुंह में हिरण स्वयं नहीं आता, उसके लिए शेर को परिश्रम करना पड़ता है।

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