एकेटीयू के खाते से साइबर अपराधियों ने पार कर दिए 120 करोड़ रुपये, सात गिरफ्तार, 119 करोड़ बरामद

दैनिक इंडिया न्यूज़ ,लखनऊ, 19 जून 2024 डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय (एकेटीयू) के खाते से साइबर अपराधियों ने 120 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की है। पुलिस ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए सात आरोपियों को गिरफ्तार किया है और उनके पास से 119 करोड़ रुपये बरामद किए हैं।

घटना का खुलासा

एकेटीयू के अधिकारियों ने पिछले हफ्ते साइबर धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई थी। जांच में पता चला कि अपराधियों ने फर्जी दस्तावेज और धोखाधड़ी तकनीकों का उपयोग कर बड़ी रकम अपने खातों में ट्रांसफर कर ली थी।

साजिश की शुरुआत

इस घटना के पीछे एक संगठित अपराधी गिरोह था, जो पहले से ही कई अन्य साइबर अपराधों में शामिल रहा है। इस गिरोह ने महीनों पहले से एकेटीयू के वित्तीय प्रणाली और उनके सुरक्षा उपायों की बारीकी से जांच की थी। उन्होंने फर्जी दस्तावेज तैयार किए और विश्वविद्यालय के कर्मचारियों के रूप में खुद को प्रस्तुत किया।

फिशिंग और सोशल इंजीनियरिंग

अपराधियों ने फिशिंग तकनीकों का उपयोग करके एकेटीयू के वित्तीय अधिकारियों को अपने जाल में फंसाया। उन्होंने नकली ईमेल और वेबसाइटों का उपयोग किया ताकि अधिकारियों को अपने संवेदनशील जानकारी साझा करने के लिए मजबूर किया जा सके। इस प्रकार की धोखाधड़ी में सोशल इंजीनियरिंग का भी प्रमुख उपयोग किया गया।

घटना का अंजाम

एक बार जब अपराधियों को आवश्यक जानकारी प्राप्त हो गई, तो उन्होंने तेजी से एकेटीयू के खातों से धन ट्रांसफर करना शुरू कर दिया। इस प्रक्रिया में उन्होंने विभिन्न बैंकों और खातों का उपयोग किया ताकि धन की ट्रेसिंग मुश्किल हो सके।

गिरफ्तारी और बरामदगी

जैसे ही एकेटीयू के अधिकारियों को अनियमितताओं का पता चला, उन्होंने तत्काल साइबर क्राइम सेल को सूचित किया। पुलिस और साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों की टीम ने मिलकर त्वरित कार्रवाई की और इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफर के विभिन्न रास्तों को ट्रेस किया। इस जटिल नेटवर्क की जांच के बाद, पुलिस ने सात प्रमुख संदिग्धों को गिरफ्तार किया, जो इस योजना के मास्टरमाइंड थे। पुलिस ने इनके पास से 119 करोड़ रुपये की राशि भी बरामद की, जो चोरी की कुल राशि का अधिकांश हिस्सा था।

व्यापक संदर्भ

भारत में साइबर अपराध की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, 2021 से 2023 के बीच साइबर अपराधियों ने देश में लगभग 10,300 करोड़ रुपये की चोरी की है। हालांकि, सरकार और साइबर सुरक्षा एजेंसियों के प्रयासों से लगभग 1,127 करोड़ रुपये की राशि को ब्लॉक कर दिया गया है और कुछ मामलों में पीड़ितों को राशि भी वापस की गई है।

सरकार की पहल

भारत सरकार ने साइबर अपराधों से निपटने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। ‘सिटीजन फाइनेंशियल साइबर फ्रॉड रिपोर्टिंग एंड मैनेजमेंट सिस्टम’ के माध्यम से, साइबर धोखाधड़ी के मामलों की तुरंत रिपोर्टिंग और कार्रवाई की जा रही है। इसके अलावा, नई SOPs (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) को लागू करने की तैयारी की जा रही है, जिससे पीड़ितों को उनके पैसे वापस पाने में आसानी होगी।

इस घटना ने साइबर सुरक्षा की गंभीरता को एक बार फिर उजागर किया है। सरकार और संबंधित एजेंसियों के लिए यह आवश्यक है कि वे साइबर अपराधियों के खिलाफ सख्त कदम उठाएं और लोगों को साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूक करें। इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए संस्थानों और व्यक्तियों को भी सतर्क रहना होगा और साइबर सुरक्षा के मानकों का पालन करना होगा।

बैंक की लापरवाही और नियम

आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) की गाइडलाइन्स के अनुसार, जब एक आम आदमी का बैंक में खाता खुलता है, तब तक बैंक को अपने कस्टमर को उचित सेवा प्रदान करने की जिम्मेदारी होती है। लेकिन, डेबिट फ्रिज या अन्य किसी प्रकार के प्रतिबंधों का मुद्दा बैंक के आंतरिक नीतियों और प्रक्रियाओं पर निर्भर करता है। आरबीआई के केवाईसी (Know Your Customer) मानकों के अनुसार, बैंक को खाता खोलने के समय ग्राहक की पहचान और पते की पुष्टि करनी होती है। सभी जरूरी दस्तावेज प्राप्त करने और सत्यापन के बाद ही खाता सक्रिय किया जाता है। खाता खोलने के बाद, बैंक को आमतौर पर एक वेलकम किट (जिसमें चेक बुक, डेबिट कार्ड, पिन, आदि शामिल होते हैं) भेजनी होती है। यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही खाता पूरी तरह से सक्रिय किया जाता है।

अगर ग्राहक अपने वेलकम किट को प्राप्त नहीं करता या उसे बैंक में लेकर नहीं आता है, तो कुछ बैंक खाता सुरक्षित रखने के लिए “डेबिट फ्रिज” जैसी नीतियां लागू कर सकती हैं। यह एक सुरक्षा उपाय हो सकता है ताकि खाता गलत तरीके से उपयोग न किया जाए। आरबीआई बैंकों को यह सुनिश्चित करने की सलाह देती है कि ग्राहकों को उनकी सुविधाओं तक सही और समय पर पहुँच मिल सके। कोई भी प्रतिबंध लगाते समय ग्राहकों को उचित जानकारी दी जानी चाहिए और उनकी सहमति ली जानी चाहिए।

इसलिए, अगर आपका खाता डेबिट फ्रिज में रखा गया है और आपको वेलकम किट नहीं मिली है, तो आपको सीधे बैंक से संपर्क करना चाहिए और उनसे इसके बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करनी चाहिए। खाता खोलने के लिए आवेदन करें और केवाईसी दस्तावेज़ जमा करें। बैंक दस्तावेज़ों की जांच और सत्यापन करेगी। खाता खुलने के बाद वेलकम किट भेजी जाएगी। यदि वेलकम किट प्राप्त नहीं हुई है, तो खाता अस्थायी रूप से डेबिट फ्रिज में हो सकता है। यह बैंक की सुरक्षा नीति हो सकती है। वेलकम किट प्राप्त करें और बैंक में जाकर अपनी पहचान और दस्तावेज़ प्रस्तुत करें। बैंक खाता पूरी तरह से सक्रिय कर देगी। यदि आपको और जानकारी चाहिए तो आप अपनी बैंक की कस्टमर सर्विस से संपर्क कर सकते हैं या उनके वेबसाइट पर जाकर संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

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