बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हमले: सीजेआई चंद्रचूड़ ने स्वतंत्रता के महत्व पर दिया जोर
दैनिक इंडिया न्यूज़ 15 अगस्त2024 ,नई दिल्ली:।बांग्लादेश में पिछले 10 दिनों में हिंदू समुदाय पर हुए हमलों का असर भारत पर भी स्पष्ट रूप से दिखाई दिया है। हिंसा से जान बचाने के लिए कई हिंदू परिवार भारतीय सीमाओं की ओर भागने को मजबूर हुए हैं। इस संवेदनशील मुद्दे पर भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़ ने गुरुवार को स्वतंत्रता के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि बांग्लादेश में हाल की घटनाएं स्वतंत्रता के मूल्य और इसकी नाजुकता की याद दिलाती हैं।
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सुप्रीम कोर्ट परिसर में तिरंगा फहराने के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, “बांग्लादेश में जो कुछ हो रहा है, वह हमें बताता है कि हमारे लिए स्वतंत्रता कितनी मूल्यवान है। इसे हल्के में लेना बहुत आसान है, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि हम अतीत की घटनाओं से सीखें और समझें कि स्वतंत्रता की रक्षा कितनी आवश्यक है।”
सीजेआई ने इस बात पर जोर दिया कि स्वतंत्रता दिवस न केवल हमारे देश की आजादी का जश्न मनाने का दिन है, बल्कि यह हमें हमारे संविधान और राष्ट्रीय कर्तव्यों की याद दिलाने का अवसर भी है। उन्होंने कहा कि हमारे संवैधानिक कर्तव्य हमें एक-दूसरे के प्रति जिम्मेदारी का भाव रखने और एक सशक्त और समृद्ध राष्ट्र का निर्माण करने में मदद करते हैं।
इस मौके पर केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी उपस्थित थे। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि संविधान हमारे देश का सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज है और यदि इसे विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका द्वारा सही रूप में आत्मसात किया जाए, तो भारत एक विकसित राष्ट्र के रूप में उभर सकता है।
बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे हमलों के चलते भारत में गहरी चिंता है। हालिया घटनाओं के बाद भारतीय सीमाओं पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है और सरकार स्थिति पर कड़ी नजर रख रही है। इसके साथ ही, अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भी बांग्लादेश सरकार से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की है।
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ के इस बयान को मौजूदा घटनाओं के संदर्भ में देखा जा रहा है, जो न केवल बांग्लादेश में, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया में स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की रक्षा के महत्व को रेखांकित करता है। उनका संदेश स्पष्ट है: स्वतंत्रता की रक्षा हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है, और इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता।