दैनिक इंडिया न्यूज़,लखनऊ: जोड़ों और घुटनों के दर्द की समस्या अब सिर्फ वृद्धावस्था तक सीमित नहीं रही है। यह बीमारी तेजी से बच्चों और युवाओं में भी फैल रही है, जिसके कारण उनकी जीवनशैली प्रभावित हो रही है। इस समस्या से निपटने के लिए संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, और समय पर चिकित्सीय परामर्श लेना अत्यंत आवश्यक है।
शुक्रवार को राजधानी के एक प्रतिष्ठित होटल में ज्वाइंट केयर फाउंडेशन द्वारा आयोजित जागरूकता शिविर में इस विषय पर विस्तार से चर्चा की गई। इस शिविर में वरिष्ठ आर्थोपेडिक सर्जन और जॉइंट रिप्लेसमेंट विशेषज्ञ डॉ. सौरभ शुक्ला मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित थे। डॉ. शुक्ला ने अपने संबोधन में कहा कि अव्यवस्थित जीवनशैली, अनियमित खान-पान, और गलत तरीके से बैठने और सोने के कारण जोड़ों और घुटनों की समस्याएं बढ़ती जा रही हैं।
उन्होंने कहा कि प्रारंभिक लक्षणों की अनदेखी से यह बीमारी गंभीर रूप ले सकती है, जिसके बाद इसका उपचार आर्थोपेडिक सर्जन की देखरेख में ही संभव हो पाता है। डॉ. शुक्ला ने यह भी बताया कि बीमारी के अत्यधिक बढ़ जाने पर जॉइंट रिप्लेसमेंट ही एकमात्र प्रभावी समाधान रह जाता है।
डॉ. शुक्ला ने लोगों के सवालों के जवाब देते हुए इस बात पर जोर दिया कि बीमारी के शुरुआती लक्षणों को पहचानकर ही इसके नियंत्रण की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकते हैं। इसके लिए सबसे पहले विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श लेना आवश्यक है। एक आर्थोपेडिक सर्जन ही यह बता सकता है कि बीमारी किस स्तर पर है और इसके उपचार के लिए क्या-क्या कदम उठाने जरूरी हैं।
इस अवसर पर रोटरी क्लब के पूर्व सचिव के.के. श्रीवास्तव ने भी शिविर को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि इस बीमारी से बचने के लिए सही तरीके से बैठना, चलना, और सोना अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। डॉक्टर की सलाह के अनुसार इन बातों का पालन करने से व्यक्ति लंबे समय तक फिट और सक्रिय रह सकता है। शिविर में विशेष रूप से बुजुर्गों के लिए विटामिन डिफिशिएंसी और संतुलित आहार पर भी चर्चा की गई, ताकि वे इस बीमारी से बचाव कर सकें।
शिविर में बड़ी संख्या में जोड़ों और घुटनों के दर्द से पीड़ित लोग शामिल हुए, जिन्होंने विशेषज्ञों से परामर्श लेकर अपनी समस्याओं का समाधान प्राप्त किया। इस तरह के जागरूकता कार्यक्रम लोगों को स्वस्थ और सक्रिय जीवन जीने में मददगार साबित हो सकते हैं।