दैनिक इंडिया न्यूज़ ,लखनऊ, 6 सितम्बर 2024: संस्कृतभारती अवधप्रान्त द्वारा संस्कृत भाषा उन्नयन और संस्कृत सम्भाषण को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से श्रीश देवपुजारी, अखिल भारतीय सम्पर्क प्रमुख के लखनऊ प्रवास के अवसर पर भव्य कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम नई शिक्षा नीति 2024 के तहत संस्कृत भाषा के प्रसार और शैक्षिक पाठ्यक्रमों में इसके महत्व पर केंद्रित था। इस पहल में विभिन्न शिक्षण और चिकित्सा संस्थानों के विद्वानों और शिक्षकों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। जितेन्द्र प्रताप सिंह सम्पर्क प्रमुख संस्कृतभारती अवधप्रान्त ने पूर्व निर्धारित समयानुसार राम मनोहर लोहिया चिकित्सा आयुर्विज्ञान संस्थान मे प्रमोद पंडित क्षेत्रीय संगठन मंत्री,सोहन लाल उकील अध्यक्ष संस्कृतभारती अवधप्रान्त की सहभागिता के साथ विचार-विमर्श सम्पन्न हुआ ।
नई शिक्षा नीति और भारतीय ज्ञान परंपरा
कार्यशाला के दौरान, राम मनोहर लोहिया चिकित्सा आर्युविज्ञान संस्थान में डॉ. सी एम सिंह और डॉ. विक्रम सिंह की उपस्थिति में, भारतीय शिक्षा प्रणाली और नई शिक्षा नीति में संस्कृत भाषा के महत्व पर चर्चा की गई। श्रीश देवपुजारी ने कहा, “संस्कृत भाषा को पुनर्जीवित करने का यह प्रयास राष्ट्रीय पहचान और भारतीय सांस्कृतिक गौरव को बढ़ावा देने के लिए अत्यंत आवश्यक है।” उन्होंने इस पहल को हमारी जड़ों से जुड़ने और हमारी प्राचीन ज्ञान परंपरा को पुनर्जीवित करने का अवसर बताया।
संस्कृत शिक्षकों की नियुक्ति और पाठ्यक्रम में बदलाव
कार्यक्रम के दौरान एस आर ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन के चेयरमैन पवन सिंह चौहान (सदस्य विधान परिषद) और संस्कृतभारती के प्रमुख पदाधिकारियों के साथ संस्कृत शिक्षकों की नियुक्ति और भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित पाठ्यक्रम में आवश्यक बदलावों पर विमर्श हुआ। श्रीश देवपुजारी ने कहा, “नई शिक्षा नीति 2024 में संस्कृत का समावेश भारतीय संस्कृति को पुनः स्थापित करने का एक सशक्त कदम है।”
संस्कृत कार्यशाला: ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय
ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय में आयोजित इस कार्यशाला में भी नरेन्द्र बहादुर सिंह कुलपति,प्रमुख शिक्षकों और श्रीश देव पुजारी अखिल भारतीय सम्पर्कप्रमुख, प्रमोद पंडित क्षेत्रीय संगठन मंत्री,सोहन लाल उकील अध्यक्ष व जितेन्द्र प्रताप सिंह ने संस्कृतभारती से हिस्सा लिया। विश्वविद्यालय के कुलपति नरेंद्र बहादुर सिंह ने नई शिक्षा नीति के संदर्भ में संस्कृत भाषा के महत्व और प्राच्य संस्कृत ग्रंथों की उपयोगिता पर जोर दिया। श्रीश देवपुजारी ने इस अवसर पर संस्कृत सम्भाषण के महत्व को समझाया और शिक्षकों के सवालों का समाधान किया।
संस्कृत भाषा का पुनरुत्थान और युवा पीढ़ी का जुड़ाव
कार्यक्रम के अंत में, संस्कृतभारती अवधप्रान्त के सम्पर्क प्रमुख जितेंद्र प्रताप सिंह ने संस्कृत के प्रति विश्वास और उत्साह बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा के माध्यम से हमारे देश की राष्ट्रवादी सोच को पुनः जागृत किया जा सकता है। इस कार्यशाला ने संस्कृत के प्रति युवाओं और विद्वानों में एक नई चेतना का संचार किया है।
प्रमुख व्यक्तियों का सम्मान
कार्यक्रम में प्रमुख अतिथियों को अंगवस्त्र और प्रतीक चिह्न देकर सम्मानित किया गया। संस्कृतभारती अवधप्रान्त के अध्यक्ष शोभन लाल उकील, जितेन्द्रप्रतापसिंह सम्पर्कप्रमुख, क्षेत्रीय संगठन मंत्री प्रमोद पंडित और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने इस आयोजन को सफल बनाने में अपनी भूमिका निभाई।
संस्कृत भाषा का उज्जवल भविष्य
संस्कृत उन्नयन और सम्भाषण पर आधारित इस कार्यशाला ने यह स्पष्ट किया कि संस्कृत भाषा का भविष्य अत्यंत उज्जवल है। नई शिक्षा नीति 2024 के तहत संस्कृत को शैक्षिक पाठ्यक्रम में स्थान देकर युवा पीढ़ी को भारतीय ज्ञान परंपरा से जोड़ने के लिए सार्थक प्रयास किए जा रहे हैं।