दैनिक इंडिया न्यूज़ ,लखनऊ 03 अक्टूबर 2024, लखनऊ: राष्ट्रीय सनातन महासंघ के अध्यक्ष श्री जितेंद्र प्रताप सिंह ने नवरात्रि पर्व के अवसर पर समस्त देशवासियों को शुभकामनाएं ज्ञापित कीं। उन्होंने नवरात्रि पर्व के महत्त्व पर जोर देते हुए कहा, “नवरात्रि आदिशक्ति की आराधना का पर्व है।
यह सिद्धि एवं आत्मोत्सर्ग का पर्व है, जिसमें साधक आदिशक्ति माँ भगवती की कृपा से आत्मिक और भौतिक उन्नति प्राप्त कर सकते हैं। नवरात्रि पर्व चित्त शुद्धि और आत्मशुद्धि का भी प्रतीक है। सनातन मान्यताओं के अनुसार, माँ भगवती की आराधना से साधक को आध्यात्मिक विकास, शांति, समृद्धि और भौतिक सम्पन्नता की प्राप्ति होती है। यह पर्व दो ऋतुओं के मिलन और संधिकाल का प्रतिनिधित्व करता है, जहाँ ग्रीष्म ऋतु के अंत और शीत ऋतु के आगमन की तैयारी होती है।”
उन्होंने आगे कहा कि नवरात्रि में साधक माँ भगवती के संरक्षण में मंत्र साधना, उपासना, उपवास और प्रार्थना के माध्यम से आत्मविकास और आत्मपरिष्कार की दिशा में अग्रसर होते हैं, जो जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है। भगवान राम के समय से पहले से ही यह साधना प्रचलित है, जो भारतीय संस्कृति में शक्ति के आवाहन का प्रतीक रही है।
माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की साधना
जितेंद्र प्रताप सिंह ने नवरात्रि के दौरान माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना के महत्व को भी रेखांकित किया। उन्होंने बताया, “नवरात्रि के पहले दिन ‘शैलपुत्री’ का पूजन होता है। इसके बाद ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, और सिद्धिदात्री के रूप में माँ दुर्गा की पूजा की जाती है। इन नौ दिनों में साधक विशेष रूप से उपवास, जप, ध्यान और अनुष्ठान के माध्यम से माँ की कृपा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। यह साधना साधक के जीवन में सुख, सौभाग्य, और आत्मिक शक्ति का संचार करती है।”
नवरात्रि की चार प्रमुख रात्रियों का महत्व
वेद और शास्त्रों के अनुसार, आदिशक्ति के चार प्रमुख स्वरूपों की आराधना भी विशेष रूप से की जाती है। सिंह ने बताया, “कालरात्रि, महारात्रि, मोहरात्रि, और दारुणरात्रि जैसी रात्रियों का विशेष आध्यात्मिक महत्त्व है। इन रात्रियों में की गई साधना साधक को अनंत गुणा फल प्रदान करती है। माँ आदिशक्ति की कृपा से साधक को आत्मिक और भौतिक संपन्नता की प्राप्ति होती है।”
नवरात्रि साधना का महत्त्व
जितेंद्र प्रताप सिंह ने इस अवसर पर सभी साधकों को आह्वान किया कि वे नवरात्रि के अवसर पर माँ जगदम्बा की आराधना करें और अपने जीवन को सुख, शांति, और समृद्धि से भरपूर करें। उन्होंने कहा, “यह समय साधना, आत्मविकास और ईश्वर के प्रति भक्ति को समर्पित करने का है, जो साधक को जीवन के हर क्षेत्र में उन्नति और प्रगति प्रदान करता है।”
इस प्रकार, नवरात्रि की साधना साधक को आत्मिक और भौतिक दोनों प्रकार की सफलताएं प्रदान करने में समर्थ होती है।