राष्ट्रीय सनातन महासंघ के अध्यक्ष जितेंद्र प्रताप सिंह ने राजनाथ सिंह से की भेंट, सनातन धर्म के प्रचार को लेकर जताया विश्वास

दैनिक इंडिया न्यूज़ ,नई दिल्ली: राष्ट्रीय सनातन महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष जितेंद्र प्रताप सिंह ने भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की, जिसका उद्देश्य भारत में सनातन धर्म के महाविज्ञान का प्रचार-प्रसार करना था। इस विशेष भेंट के दौरान, जितेंद्र प्रताप सिंह ने भक्ति और कर्मयोग पर आधारित पुस्तक भक्ति सनातन का आधार” अपरिमेय श्याम दास द्वारा लिखित ,राजनाथ सिंह को भेंट की। उन्होंने रक्षा मंत्री पर अपना विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि वे न केवल देश की रक्षा के लिए समर्पित हैं, बल्कि विदेश दौरों के दौरान भी भारतीय सनातन परंपराओं का पालन करते हैं और गर्व के साथ उन्हें प्रस्तुत करते हैं।

इस मुलाकात में, जितेंद्र प्रताप सिंह ने कहा, “राजनाथ सिंह देश के पहले ऐसे रक्षा मंत्री हैं जो विदेशों में भी सनातन धर्म और भारतीय कर्मकांडों पर गर्व करते हुए पूजन-अर्चन करते हैं। यह न केवल हमारी सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है, बल्कि भारत को विश्व में जगतगुरु के रूप में स्थापित करने का भी प्रयास है।”
राफेल को भारत आने के पूर्व पूजन अर्चन कर रोली, स्वास्तिक चिन्हित कर सनातन को फ्रांस मे स्थापित कर देश के मान को भी बढ़ाया।

सिंह ने आगे कहा कि सनातन धर्म का मूल राष्ट्रप्रेम और भक्ति है। गीता के मर्म को समझाते हुए उन्होंने कहा, “गीता हमें सिखाती है कि भक्ति केवल कर्मकांड या धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह कर्तव्य पालन के माध्यम से राष्ट्र सेवा का सर्वोत्तम रूप है। जैसे भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा था, ‘स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः’—अपना धर्म निभाना सबसे बड़ी भक्ति है, चाहे उसमें कितनी ही कठिनाइयाँ क्यों न हों।”

राजनाथ सिंह ने भी इस अवसर पर सनातन धर्म के प्रति अपनी आस्था व्यक्त की और कहा कि वे भारत की सांस्कृतिक विरासत और धर्म का प्रचार-प्रसार करने के लिए सदैव तत्पर हैं। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म में निहित ज्ञान और भक्ति न केवल आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग है, बल्कि राष्ट्रीय एकता और वैश्विक शांति का संदेश भी देता है।

जितेंद्र प्रताप सिंह की यह भेंट सनातन धर्म के प्रचार और उसके राष्ट्रप्रेम से जुड़े संदेश को आगे बढ़ाने के संकल्प को और मजबूत करती है। इस मुलाकात ने यह साबित किया कि सनातन धर्म केवल एक धार्मिक अवधारणा नहीं है, बल्कि यह राष्ट्र सेवा और वैश्विक शांति का प्रेरक स्रोत भी है।

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