तृतीय विश्व युद्ध की आशंकाओं के बीच शांति और राष्ट्रनिर्माण का संकल्प
दैनिक इंडिया न्यूज़ ,,लखनऊ ।राष्ट्रीय सनातन महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष जितेंद्र प्रताप सिंह ने अपने परिवार के साथ अयोध्या पहुंचकर श्री रामलला का दर्शन किया। उन्होंने हनुमानगढ़ में बजरंगबली के मंदिर में मत्था टेका और संत बालक राम से आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर उन्होंने राष्ट्र कल्याण और वैश्विक शांति के लिए प्रार्थना की।
जितेंद्र प्रताप सिंह का यह दौरा श्री रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के एक वर्ष पूर्ण होने से पूर्व आयोजित किया गया। उन्होंने कहा कि अयोध्या में रामलला की प्राणप्रतिष्ठा के बाद भारत ने कई कठिन चुनौतियों का सामना करते हुए एक नए युग में प्रवेश किया है। उन्होंने विशेष रूप से तृतीय विश्व युद्ध के मंडराते खतरे की ओर संकेत करते हुए कहा, “संसार में जहां युद्ध की विभीषिका का साया बढ़ता जा रहा है, वहीं भारत प्रभु श्री राम के आशीर्वाद से शांति और समृद्धि की ओर अग्रसर है।”
जितेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि भारत आज विश्व गुरु बनने के शिखर पर है, और यह संभव हुआ है मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के आदर्शों पर चलने से। उन्होंने कहा कि, “श्रीराम का जीवन हमें मर्यादा, कर्तव्य, और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। यदि हम उनके आदर्शों को आत्मसात कर लें, तो एक सशक्त, समृद्ध और श्रेष्ठ भारत का निर्माण संभव है।”
वाल्मीकि रामायण के उद्धरण देते हुए उन्होंने कहा: ‘धर्मो रक्षति रक्षितः’, अर्थात्, “जो धर्म की रक्षा करता है, उसकी रक्षा स्वयं धर्म करता है।”
हनुमानगढ़ में बजरंगबली के मंदिर में पूजा-अर्चना के पश्चात जितेंद्र प्रताप सिंह ने संत बालक राम से आशीर्वाद ग्रहण किया। उन्होंने कहा कि श्री हनुमानजी की भक्ति और सेवा के माध्यम से हम आत्मबल और राष्ट्रभक्ति को और अधिक सुदृढ़ कर सकते हैं। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि वे श्रीराम के आदर्शों को अपने जीवन में अपनाकर ‘नेक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के निर्माण में योगदान दें।
जितेंद्र प्रताप सिंह का यह दौरा न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह राष्ट्रहित और वैश्विक शांति के प्रति एक गंभीर संदेश भी देता है। उनकी इस यात्रा को भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों और राष्ट्रीय एकता की भावना के प्रसार का प्रतीक माना जा रहा है।
उन्होंने कहा कि रामराज्य का आदर्श शासन आज भी प्रासंगिक है। उन्होंने कहा, “यदि हम श्रीराम की मर्यादा, करुणा और न्याय के सिद्धांतों का पालन करें, तो भारत न केवल आर्थिक और सामाजिक रूप से प्रगतिशील बनेगा, बल्कि विश्व में एक आदर्श राष्ट्र के रूप में उभरेगा।”
इस यात्रा ने भारत की सांस्कृतिक जड़ों और राष्ट्र निर्माण के संकल्प को मजबूत किया। जितेंद्र प्रताप सिंह का संदेश स्पष्ट है — श्रीराम के आदर्शों को आत्मसात करके ही भारत सही मायनों में विश्व गुरु बन सकता है।