गुरु गोरखनाथ स्वास्थ्य सेवा यात्रा: सेवा, समर्पण और राष्ट्रधर्म का प्रेरक उदाहरण -मुख्यमंत्री

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले बोले — सेवा ही भारतीय संस्कृति की आत्मा

दैनिक इंडिया न्यूज़ लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गुरु गोरखनाथ स्वास्थ्य सेवा यात्रा भारत-नेपाल सीमा के समीपवर्ती अंचलों में रहने वाली उपेक्षित जनजातियों और वनवासी समाज के लिए न केवल आरोग्यता का साधन बनी है, बल्कि यह उन्हें भारत की सांस्कृतिक मुख्यधारा से जोड़ने का माध्यम भी बन रही है। यह सेवा यात्रा राष्ट्रीय पुनर्जागरण की दिशा में एक सशक्त कदम है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि यह यात्रा ‘नर सेवा नारायण सेवा’ की अवधारणा को साकार करती है। सेवा, त्याग और समर्पण भारतीय संस्कृति की आत्मा हैं, और यही संघ का कार्यदर्शन भी है।

मुख्यमंत्री ने बताया कि यह यात्रा 2019 से नेशनल मेडिकोज ऑर्गेनाइजेशन अवध-गोरक्ष प्रांत और गुरु गोरखनाथ सेवा न्यास के तत्वावधान में संचालित हो रही है। कोरोना काल में भी यह अभियान रुका नहीं, अपितु दुर्गम क्षेत्रों में पहुंचकर स्वास्थ्य परीक्षण, औषधि वितरण और जनजागरूकता का कार्य चलता रहा।

योगी जी ने कहा कि RSS की परंपरा के अनुरूप यह यात्रा भारत की ऋषि परंपरा और एकात्म मानववाद की जीवंत अभिव्यक्ति है। शंकराचार्य की दिग्विजय यात्रा से लेकर गुरु गोरखनाथ की सेवा साधना तक, भारत की सांस्कृतिक यात्राएं समाज को जोड़ने, जागरूक करने और सशक्त बनाने के लिए होती हैं।

प्रदेश सरकार ने थारू, मुसहर, कोल, चेरो, गौड़, सहरिया, बुक्सा जैसी जनजातियों को शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, जल, विद्युत और पोषण की मूलभूत सुविधाओं से जोड़ने का संकल्प लिया है। वनटांगिया समुदाय को राजस्व ग्राम का दर्जा, मताधिकार और सरकारी योजनाओं से लाभान्वित कर राष्ट्र की मुख्यधारा में जोड़ा गया है।

सरकार्यवाह जी ने कुंभ 2025 में ‘नेत्र कुंभ’ के आयोजन का उल्लेख करते हुए कहा कि यह संघ द्वारा सेवा कार्यों की महत्ता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि ऐसे “सहयोग आधारित मॉडल” संपूर्ण भारत में विकसित होने चाहिए जो आत्मनिर्भरता, सेवा और राष्ट्रभक्ति के आदर्श बन सकें।

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