“नीम का पत्ता कड़वा है, पाकिस्तान सबसे बड़ा गद्दार है” – गूंजे नारे


हजारों लोगों ने कैंडल मार्च कर केंद्र सरकार से की निर्णायक कार्रवाई की मांग

दैनिक इंडिया न्यूज़ ,लखनऊ, 24 अप्रैल। जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी हमले के खिलाफ लखनऊ के जानकीपुरम स्थित सहारा स्टेट में जनाक्रोश फूट पड़ा। हजारों की संख्या में जुटे कॉलोनीवासियों, भारतीय जनता पार्टी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, राष्ट्रीय सनातन महासंघ और जन उद्योग व्यापार मंडल के कार्यकर्ताओं ने कैंडल मार्च निकालकर वीरगति को प्राप्त निर्दोष नागरिकों को श्रद्धांजलि दी और आतंक के आकाओं के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की मांग की।

इस जनसैलाब ने एक स्वर में चेताया – “अब सहन नहीं, सिर्फ प्रतिशोध!”

गगनभेदी नारों के साथ गूंजा – “नीम का पत्ता कड़वा है, पाकिस्तान सबसे बड़ा दगाबाज़ है!”

लोगों ने पाकिस्तान को चेतावनी दी – “अब भारत घर में घुसकर मारेगा, और इतिहास लिखेगा वो न्याय, जो आज तक किसी ने देखा नहीं होगा।”

जनता का आक्रोश देखते ही बनता था। बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं, नौजवान – सभी ने पाकिस्तान के खिलाफ मोमबत्तियां जलाकर अपनी भावनाओं को एकजुटता में बदला। सैकड़ों हाथों में तिरंगे और पोस्टर थे, जिन पर लिखा था –
“आतंक का अंत अब जरूरी है”
“भारत वीरों की भूमि है, हम चुप नहीं बैठेंगे”
“अब चुप्पी नहीं, सीधी कार्रवाई चाहिए!”
प्रदर्शन में शामिल एक भाजपा कार्यकर्ता ने कहा – “कब तक हम अपने मासूम नागरिकों की लाशें उठाते रहेंगे? पाकिस्तान एक नापाक सोच का प्रतीक है, उसे उसकी ही भाषा में जवाब देना होगा।” वहीं संघ के कार्यकर्ता ने स्पष्ट शब्दों में कहा – “ये लड़ाई सिर्फ सीमा पर नहीं, अब भारत के हर नागरिक के सीने में जल रही है। यह आग बुझने वाली नहीं है।”
राष्ट्रीय सनातन महासंघ के प्रतिनिधियों ने प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री से आग्रह किया कि अब वक्त आ गया है जब पाकिस्तान के हर आतंकी गढ़ को जड़ से उखाड़ फेंका जाए। उन्होंने कहा – “कूटनीति और बैठकों से कुछ नहीं होगा, अब जवाब देना होगा – लहू के बदले लहू।”
जन उद्योग व्यापार मंडल के कार्यकर्ताओं ने भी इस आह्वान को समर्थन देते हुए कहा – “हमारा व्यापार, हमारी रोटी, सब कुछ तब बेमानी है जब देश के लोग सुरक्षित नहीं हैं। जो देश भारत की शांति भंग करे, उसे नेस्तनाबूद कर देना चाहिए।”
यह कैंडल मार्च सिर्फ एक श्रद्धांजलि नहीं थी, बल्कि यह एक स्पष्ट संकेत था –
अब भारत माफ नहीं करेगा। अब हर शहीद का बदला लिया जाएगा।
शब्द नहीं, अब शस्त्र चलेंगे – और चलेंगे दुश्मनों के विनाश तक।