मोटापा: आधुनिक जीवनशैली का मौन हत्यारा-टीपी तिवारी

दैनिक इंडिया न्यूज़ , लखनऊ।मोटापा आज न केवल एक व्यक्तिगत स्वास्थ्य संकट है, बल्कि यह राष्ट्रीय स्तर की सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती बन चुका है। महानगर लखनऊ के मध्य आयोजित डॉक्टर स्वास्थ्य संगोष्ठी में प्रसिद्ध प्राकृतिक चिकित्सक और पोषण विशेषज्ञ डॉ. टी.पी. तिवारी ने स्पष्ट रूप से कहा कि “मोटापा एक धीमा ज़हर है, जो शरीर के प्रत्येक अंग को गुप्त रूप से प्रभावित करता है और अंततः जीवन को छोटा करता है।”

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 2022 तक दुनिया में एक अरब से अधिक लोग मोटापे से ग्रस्त थे। भारत में भी शहरी और अर्ध-शहरी आबादी के बीच यह स्थिति तेजी से बिगड़ रही है। डॉ. तिवारी के अनुसार यदि किसी व्यक्ति का बीएमआई 30 से अधिक है, तो वह क्लीनिकली मोटापे की श्रेणी में आता है और उसे विशेष चिकित्सकीय हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है।

डॉ. तिवारी ने संगोष्ठी में जानकारी देते हुए बताया कि मोटापा केवल टाइप-2 डायबिटीज़ और उच्च रक्तचाप का कारण नहीं है, बल्कि यह हृदय रोग, थायरॉयड गड़बड़ी, स्तन एवं आंतों के कैंसर, स्लीप एपनिया, जोड़ों का दर्द और मानसिक तनाव जैसी स्थितियों से भी प्रत्यक्ष रूप से जुड़ा हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान जीवनशैली में मानसिक तनाव, नींद की कमी और फास्ट फूड की उपलब्धता ने इस समस्या को और विकराल बना दिया है।

बच्चों और किशोरों में बढ़ता मोटापा आने वाले वर्षों में देश के स्वास्थ्य ढांचे पर अत्यधिक बोझ डाल सकता है। डॉ. तिवारी ने यह सुझाव भी दिया कि इस महामारी से निपटने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हैं — जिसमें स्कूलों में पोषण शिक्षा, फूड इंडस्ट्री पर नियंत्रण, योग एवं आयुर्वेदिक चिकित्सा को बढ़ावा देना और जागरूकता अभियान प्रमुख हैं।

मोटापा एक ऐसी चुनौती है, जिससे हम केवल दवाओं से नहीं लड़ सकते — इसके लिए सामाजिक, मानसिक और आहारगत परिवर्तन की आवश्यकता है। यदि अब भी हम नहीं चेते, तो आने वाले वर्षों में यह रोग हमारी पीढ़ियों के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।

Share it via Social Media

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *