
दैनिक इंडिया न्यूज़, नई दिल्ली ।राजनीति में कई चेहरे आते हैं, कुछ छा जाते हैं और कुछ बस गुजर जाते हैं, लेकिन बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो इतिहास बनाते हैं—राजनाथ सिंह उन्हीं में से एक हैं। आज वे भारत के रक्षा मंत्री हैं, लेकिन उनकी यात्रा एक शांत अध्यापक की टेबल से शुरू हुई थी।
बचपन में ही जब उन्होंने संघ के विचारों से पहली बार संपर्क साधा, तब उन्हें यह भी नहीं पता था कि आने वाले वर्षों में वे भारत की राजनीति के सबसे मजबूत स्तंभों में से एक बनने जा रहे हैं। साधारण किसान परिवार से निकलकर उन्होंने सबसे पहले बच्चों को गणित पढ़ाया। लेकिन शिक्षक के रूप में भी वे केवल अंकों के नहीं, संस्कारों के शिक्षक थे—जो अनुशासन सिखाते थे, सोचने की दिशा बदलते थे, और बच्चों को आत्मनिर्भर बनाते थे।
राजनीति में उनका प्रवेश किसी बड़े मंच या विरासत से नहीं, बल्कि विचारधारा और कार्यकर्ता जीवन से हुआ। छात्र संगठन ‘एबीवीपी’ से होते हुए वे उत्तर प्रदेश की राजनीति में आए। समय बदला, लेकिन उनके सिद्धांत नहीं। उन्होंने नारे नहीं, नीतियां दीं। किसी क्षेत्र से चुनाव लड़ा तो उसे अपने घर की तरह संजोया। वे न सिर्फ जनता के सेवक रहे, बल्कि आत्मीयता से भरे प्रतिनिधि बने—जो लोगों के दुख-सुख में उनके साथ खड़े रहते हैं।
जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने, तब शासन को अनुशासन का पाठ पढ़ाया। और जब राष्ट्रीय राजनीति में आए, तो प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के सिद्धांतों को अपने जीवन का संकल्प बना लिया। आज भी जब वे किसी मंच पर बोलते हैं, तो वाकपटुता में अटल जी की छाया और राष्ट्रप्रेम में परमात्मा की झलक दिखाई देती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जब उन्हें देश की रक्षा की ज़िम्मेदारी मिली, तो उन्होंने सैनिकों के हाथ मजबूत किए और दुनिया को यह दिखा दिया कि भारत अब सिर्फ सहन नहीं करेगा—उत्तर भी देगा। उन्होंने रक्षा मंत्रालय को केवल कागज़ों की नीति से नहीं, जमीनी ताकत से जोड़ा।
राष्ट्रीय सनातन महासंघ के अखिल भारतीय अध्यक्ष जितेंद्र प्रताप सिंह ने उनके बारे में कहा—“राजनाथ सिंह केवल रक्षा मंत्री नहीं हैं, वे राष्ट्र के अभिभावक हैं। जब हम उन्हें देखते हैं, तो जैसे हनुमान जी की छवि दिखाई देती है, जिन्होंने श्रीराम के आदेश पर पूरा पर्वत उठा लिया था। आज जब प्रधानमंत्री मोदी नेतृत्व देते हैं, तो राजनाथ सिंह उसी भावना से देश की सुरक्षा में संलग्न होते हैं।”
राजनाथ सिंह की यही विशेषता है—वे बड़े ओहदों के बीच भी सरलता से जीते हैं, बड़े फैसलों के बीच भी आत्मा की आवाज़ सुनते हैं, और सत्ता की ऊँचाइयों पर भी अपने संस्कारों को ज़मीन से जोड़े रखते हैं। ऐसे लोग सिर्फ मंत्री नहीं होते, वे युग की जरूरत होते हैं।
इसलिए जब भी इतिहास में यह पूछा जाएगा कि कौन था वह व्यक्ति जिसने विचारधारा से राष्ट्र को जोड़ा, सेवा से सुरक्षा को गढ़ा, और राजनीति को पुनः शुचिता का स्वरूप दिया—तो उत्तर होगा: राजनाथ सिंह।