प्रकृति की रक्षा समकालीन समय की सबसे बड़ी जरूरत है।
वाचस्पति त्रिपाठी / डी डी इण्डिया न्यूज
मऊ । जिलाधिकारी अमित बंसल के मार्गदर्शन में पर्यटन विभाग, संस्कृृति विभाग उ0 प्र0 एवं वन विभाग के सहयोग से जिला प्रशासन के सानिध्य में नेशनल बुक ट्रस्ट के रचनात्मक सहयोग से शुरूआत समिति के माध्यम से आयोजित तीसरे मऊ़ पुस्तक मेले के दूसरे दिन ‘‘पर्यावरण संरक्षण में नागरिक दायित्व’ विषय पर विमर्श का आयोजन किया गया।
कलेक्ट्ेट सभागार में जिले भर के सभी प्रधानाचार्यो की समीक्षा बैठक में संबोधित करते हुए जिलाधिकारी अमित बंशल ने अपील किया कि आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर देश भर से आयी इतिहास और साहित्य की किताबें मऊ के बचपन को संवारने आयी हैं। इसलिए आवश्यक है कि इन सभी किताबों को शिक्षक अपने विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध कराये।
जिला विद्यालय निरीक्षक को निदेर्शित करते हुए कहा कि विद्यार्थियों के लिए लिये जाने वाले वाचनालय शुल्क का उपयोग इस मेले से महत्वपूर्ण किताबों को खरीदने के लिए किया जाय। उन्होंने बेसिक शिक्षा अधिकारी को निदेर्शित करते हुए कहा कि सभी प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों का पुस्तक मेले में विद्यार्थियों के साथ शैक्षणिक भ्रमण कार्यक्रम आयोजित किये जाय। और उनके संबर्द्धन लिए महत्वपूर्ण किताबों को उपलब्ध कराया जाय।
विमर्श में भागीदारी निभाते हुए चीफ कन्जरवेटर फारेस्ट श्री शिवपाल सिह ने वर्चूवल माध्यम से अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि पर्यावरण संरक्षण में हम नागरिक समाज की अहम भूमिका होती है। उन्होंने कहा कि यदि हम दैनिक जीवन में छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखे तो काफी हद तक पर्यावरण को संरक्षित करने में मदद मिल सकती है। यह मेला कार्बन उत्सर्जन मुक्त बनाने की अभियान की कड़ी है। उन्होनंे कहा कि यहां की मिट्टी ऐसी है जहां का पानी दुनिया का सबसे मीठा पानी है। इस पानी को सहेजना और सवांरना स्थानीय लोगों की जिम्मेदारी है इसलिए पुस्तक मेले के माध्यम से नयी पीढ़ी को पर्यावरण साहित्य और इतिहास की पुस्तकों से जोड़ने का प्रयोग प्रशंसनीय है। प्रकृति की ब्याख्या करते हुए यह बताते हैं कि पानी समाज की प्यास बुझाता है पर समाज है पानी की संस्कृति को भूलता जा रहा है। प्रकृति की रक्षा समकालीन समय की सबसे बड़ी जरूरत है।
अध्यक्षता करते हुए सोनीधापा बालिका इंटर कालेज की प्रधानाचार्य श्रीमती मंजु राय ने कहा कि कि हमारे धार्मिक ग्रन्थों में बताया गया है कि प्रकृति के कण-कण में ईश्वर है अल्लाह है। इस सृृष्टि के समस्त पदार्थ उस असीम शक्ति से ऐसे जुड़े हुए हैं जैसे हार के धागों में मोती। उन्होंने कहा कि पर्यावरण एक आभूषण है तथा वायु, जल, थल, वनस्पतियां, पशु आदि तत्व मोती। परन्तु मनुष्य की अराजकता के कारण इस आभूषण का आर्कषण एवं सौन्दर्य क्षीण होता जा रहा है। इसलिए हम सबका यह नैतिक कर्तब्य बनता कि हम इसकी रक्षा करे तथा इस आभूषण को जो क्षति पहुंची है उसकी पूर्ति करें।
स्वागत करते हुए स्कूल की कला शिक्षिका श्रीमती वीना गुप्ता ने कहा कि श्री शिवपाल जी ने जो ज्ञानबर्धक बाते बतायी है निश्चित रूप से हमारे स्कूल के विद्यार्थी लाभान्वित हुए हैं। श्रीमती वीना गुप्ता के मार्गदर्शन में आज बच्चो ंने ं चित्रकला कार्यशाला को आयोजन किया गया।
सत्र का संचालन करते हुए संस्कृतिकर्मी श्री राजीव रंजन ने कहा कि यदि हमें सही मायनों में पर्यावरण संरक्षण करना है तो हम सबकी की यह जिम्मेदारी बनती है हम स्वयं में तथा अपने बच्चों में पर्यावरण का संस्कार रोपित करेेें। उन्होंने कहा कि यदि हमें शुद्ध जल, वायु, हवा चाहिए तो हमें पहले इसकों संरक्षित करने के लिए स्वयं से शुरू करना होगा।
अंत में स्कूल की अध्यापिका ऋचा त्रिपाठी के निर्देशन में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं थीम पर बहुत ही खूबसूरत नाट्य प्रस्तुति की गई।
पर्यावरण संरक्षण में नागरिक दायित्व विषय पर आयोजित हुई चित्रकला कार्यशाला
पर्यावरण संरक्षण में नागरिक दायित्व विषय पर आयोजित चित्रकला कार्यशाला में विद्यार्थियों ने बढचढ कर हिस्सा लिया। जिसमें लक्ष्मी मघ्धेसिया, नैना भारद्वार, अर्सिता, रागिनी, वैश्नवी, शैल कुमारी, आरशी सपना, गुलफाम, अर्सिता, कुसानु सोनी आदि को विशेष रूप् से सम्मानित किया गया।
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