

दैनिक इंडिया न्यूज़,नई दिल्ली।टिकरी बॉर्डर मेट्रो स्टेशन के पीछे का इलाका इस समय कीचड़ और जलभराव से दलदल बन चुका है। यहां रोजाना दो-चार लोग फिसलकर घायल हो रहे हैं। लोग इस समस्या से त्राहि-त्राहि कर रहे हैं, लेकिन क्षेत्रीय विधायक और सांसद चुप्पी साधे बैठे हैं। दिल्ली सरकार के विकास के दावों की पोल यहीं खुल रही है।
सबसे बड़ी विडंबना यह है कि जैसे ही दिल्ली की सीमा समाप्त होती है और हरियाणा का बॉर्डर शुरू होता है, वहां न तो कीचड़ है, न जलभराव और न ही गंदे नाले की समस्या। सड़कें साफ-सुथरी और आवागमन बिल्कुल सुचारू है। यह सीधा प्रमाण है कि समस्या प्रशासनिक लापरवाही की है, न कि मौसम या हालात की।
लोगों ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से अपील की है कि इस सड़क को तुरंत बनवाया जाए और जलभराव से राहत दिलाई जाए। लेकिन स्थानीय निवासियों का कहना है कि मुख्यमंत्री सिर्फ़ विकास की रफ्तार बढ़ाने की बातें कर रही हैं, जबकि जमीनी स्तर पर टिकरी बॉर्डर क्षेत्र विकास की तस्वीर पर कलंक लगा रहा है।
गंदे नाले का पानी सड़कों पर बह रहा है और चारों ओर फैली बदबू से पैदल चलना तक मुश्किल हो गया है। मेट्रो स्टेशन के आसपास रोज़ाना हजारों यात्री आते-जाते हैं, फिर भी यह इलाका उपेक्षा का शिकार है। दिल्ली जैसे महानगर के लिए यह तस्वीर शर्मनाक है।
जनता की मांग,
सड़क का निर्माण तुरंत किया जाए।
जल निकासी और नाले की सफाई की स्थायी व्यवस्था हो।
हरियाणा बॉर्डर जैसी व्यवस्था यहां भी सुनिश्चित की जाए।
लोगों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो वे सड़क पर उतरकर आंदोलन करने को बाध्य होंगे। सवाल साफ है—जब हरियाणा सीमा के भीतर सबकुछ सामान्य और साफ़ है तो आखिर दिल्ली में ही लोग दलदल और गंदगी में क्यों जीने को मजबूर हैं?