
देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार में “Faith and Future: Integrating AI with Spirituality” अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का हुआ शुभारंभ

शांतिकुंज ने विश्व स्तर पर अध्यात्म और आधुनिक विज्ञान के समन्वय का दिया संदेश

दैनिक इंडिया न्यूज़, हरिद्वार/नई दिल्ली, 16 सितम्बर 2025।लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग सदैव मानवता की सेवा और कल्याण के लिए होना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि AI को आध्यात्मिकता और नैतिक मूल्यों से नहीं जोड़ा गया तो यह मानव को नियंत्रित करने का साधन बन सकता है।
वे हरिद्वार स्थित देव संस्कृति विश्वविद्यालय (शांतिकुंज) में “Faith and Future: Integrating AI with Spirituality” विषय पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर बोल रहे थे। यह सम्मेलन ‘फ्यूचर ऑफ लाइफ इंस्टीट्यूट’ (अमेरिका) के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है।
ओम बिड़ला ने अपने संबोधन में कहा कि प्रौद्योगिकी का वास्तविक उद्देश्य मानव अनुभव को समृद्ध और ऊँचा उठाना है, न कि उसे प्रतिस्थापित करना। उन्होंने कहा कि AI चुनौतियों के साथ अवसर भी लेकर आया है और भारत की नैतिकता व सत्य पर आधारित ज्ञान परंपरा इसके सकारात्मक प्रयोग में मार्गदर्शक सिद्ध हो सकती है। उन्होंने जोर दिया कि AI भारत की प्राचीन विद्या, संस्कृति और वैदिक ज्ञान को वैश्विक स्तर पर पहुँचाने का सशक्त माध्यम बन सकता है।
लोकसभा अध्यक्ष ने ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ और ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ जैसे भारतीय आदर्शों का उल्लेख करते हुए कहा कि AI का विकास समावेशी और न्यायपूर्ण होना चाहिए, जिससे इसके लाभ संपूर्ण मानवता तक पहुँच सकें। उन्होंने करुणा, सहानुभूति और मानवीय मूल्यों को AI और अध्यात्म के संगम का आधार बताते हुए विश्वास जताया कि यही एक समतामूलक और नैतिक भविष्य का मार्ग प्रशस्त करेगा।
इस अवसर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सहित अनेक राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय विद्वान भी उपस्थित रहे।
शांतिकुंज का गौरवशाली योगदान
इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन ने न केवल देव संस्कृति विश्वविद्यालय बल्कि शांतिकुंज की प्रतिष्ठा को भी और ऊँचाई दी है। शांतिकुंज ने वर्षों से विज्ञान और अध्यात्म के समन्वय का संदेश दिया है और युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य की विचारधारा से प्रेरित होकर विश्व में भारतीय संस्कृति का प्रकाश फैलाया है। अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे आधुनिक क्षेत्र में भी शांतिकुंज के माध्यम से भारत की आध्यात्मिक धरोहर को नई दिशा मिल रही है।