“भारत जब दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा, तब यूपी चुप नहीं बैठेगा”

“जब भारत दौड़ रहा है, यूपी कैसे ठहर सकता है?”

योगी का संकल्प: बीमारू से बुलंद तक – 2047 तक 6 ट्रिलियन डॉलर की यूपी इकॉनमी का सपना

लखनऊ, दैनिक इंडिया न्यूज़।शारदीय नवरात्र की पावन बेला पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में ऐसा भाषण दिया, जिसने पूरे प्रदेश को सोचने पर मजबूर कर दिया। शब्द तलवार की तरह निकले और संकल्प चट्टान की तरह गूंजा। “2014 में भारत 11वें नंबर की इकॉनोमी था, आज चौथे नंबर पर है और वित्तीय वर्ष के अंत तक तीसरे पर होगा। जब देश बढ़ रहा है तो 25 करोड़ आबादी वाला यूपी कैसे चुप बैठ सकता है?”

यही सवाल था, जिसने सभागार में बैठे हर व्यक्ति को झकझोर दिया

योगी ने कहा, “आज़ादी के समय भारत की इकॉनोमी में यूपी का योगदान 14 प्रतिशत था। आज हमें वही गौरव फिर से पाना है।” यह बयान सिर्फ इतिहास का स्मरण नहीं था, बल्कि भविष्य की रणनीति की ठोस भूमिका भी थी। वो दौर याद दिलाया गया जब यूपी को बीमारू राज्य कहा जाता था। आज वही यूपी 55% एक्सप्रेस-वे, 16 एयरपोर्ट, और सबसे ज्यादा मेट्रो शहरों के साथ देश को दिशा दिखा रहा है।

गोरखपुर का उदाहरण दिल को छू गया—जहां कभी एक फ्लाइट भी मुश्किल थी, आज 14 फ्लाइट्स देश के कोने-कोने को जोड़ रही हैं।

मुख्यमंत्री का लहजा साफ था—यह भाषण किसी चुनावी नारे जैसा नहीं, बल्कि रोडमैप जैसा लगा। उन्होंने कहा, “2017 से पहले यूपी की इकॉनोमी 12.75 लाख करोड़ थी। इस वित्तीय वर्ष में यह 35 लाख करोड़ से ऊपर होगी। हमारी पर कैपिटा इनकम 43 हजार से बढ़कर 1.20 लाख हो चुकी है।”

संख्या सुनकर लोगों की आंखों में चमक दिखी। और जब योगी ने कहा कि “हमारा लक्ष्य 2047 तक 6 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनोमी है” तो मानो पूरी सभा ने एक साथ सांस रोकी। यह घोषणा केवल वादा नहीं, आत्मविश्वास का ऐलान थी।

योगी ने साफ कहा—“अब तक हमने नींव बनाई है। भवन खड़ा करने में समय नहीं लगेगा।” यूपी सरकार ने 12 सेक्टर तय किए हैं—शिक्षा, कृषि, जल संसाधन, स्किल डेवेलपमेंट, एमएसएमई, टूरिज्म, सर्विस सेक्टर और शहरीकरण इनमें प्रमुख हैं। यहां बात केवल योजनाओं की नहीं, बल्कि उन 96 लाख एमएसएमई इकाइयों की भी हुई, जो दो करोड़ लोगों को रोज़गार दे रही हैं। यह वही आँकड़ा है जो विपक्ष की बोलती बंद करने के लिए काफी है।

मुख्यमंत्री ने ब्रिटिश काल की लूट को याद करते हुए कहा, “ब्रिटिशर्स भारत से 32 ट्रिलियन डॉलर सोना लूट कर ले गए। उन्होंने हमारी खेती चौपट की, उद्योग खत्म कर दिए।” फिर उन्होंने गर्व से याद दिलाया—भारत का पहला विश्वविद्यालय तक्षशिला, आयुर्वेद के शास्त्र, पाणिनि, चरक, सुश्रुत… सब हमारी धरती की देन हैं। और यहीं उन्होंने संस्कृत के श्लोक का उदाहरण दिया—“अमन्त्रमक्षरं नास्ति नास्ति मूलमनौषधम्।” यानी हर अक्षर में मंत्र है, हर पौधे में औषधि है और हर इंसान में गुण है, जरूरत है सही उपयोग करने की। यह संदेश विकास के दर्शन से जोड़ दिया गया।

2017 से पहले यूपी को “पिछड़े राज्य” की गिनती में रखा जाता था। आज स्थिति उलट चुकी है। यूपी में 15 लाख करोड़ का निवेश जमीन पर उतर चुका है। 5 लाख करोड़ का निवेश ग्राउंड ब्रेकिंग के लिए कतार में है। यूपी 55% मोबाइल फोन निर्माण और 55% से ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट निर्माण में देश का नेतृत्व कर रहा है।

मुख्यमंत्री का स्वर तल्ख था—“हम बीमारू राज्य की गिनती से निकलकर अब भारत की रीढ़ बने हैं। जब 2047 आएगा, यूपी की गिनती भारत के सबसे बुलंद प्रदेश के रूप में होगी।”

यह भाषण केवल आंकड़ों की बारिश नहीं थी। यह चुनौती भी थी, आत्मविश्वास भी और संकल्प भी। पाठक चाहे विपक्षी हो या समर्थक, योगी का यह संदेश पढ़कर यह सवाल ज़रूर पूछेगा—क्या वाकई यूपी वह मुकाम हासिल कर लेगा? लेकिन जो अंदाज योगी ने पेश किया, उसमें संदेह की गुंजाइश बहुत कम बची।

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