
नगर संघ चालक कैलाश चंद्र शाह ने किया मार्गदर्शन

दैनिक इंडिया न्यूज़, लखनऊ।राजधानी लखनऊ के प्रताप नगर, विकास नगर सेक्टर-6 में रविवार की संध्या एक अद्भुत दृश्य की साक्षी बनी। वातावरण में भक्ति और देशभक्ति की गंध घुली हुई थी। जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा कुटुंब प्रबोधन का कार्यक्रम प्रारंभ हुआ, तो मानो संपूर्ण परिसर मां भारती की चेतना से आलोकित हो उठा। नगर संघ चालक कैलाश शाह के नेतृत्व और संयोजक रमेश पांडे के संयोजन में आयोजित यह कार्यक्रम केवल एक आयोजन नहीं था, बल्कि राष्ट्र के संस्कारों को परिवार तक पहुँचाने का संकल्प था।

कार्यक्रम की शुरुआत मां भारती की स्तुति और दीप प्रज्वलन से हुई। जैसे ही दीपों की श्रृंखला ने अखंड भारत का नक्शा आकार लिया, पूरे परिसर में एक अदृश्य ऊर्जा दौड़ गई। “जय श्री राम” के उद्घोष के साथ ऐसा लगा मानो हर हृदय में राष्ट्र का स्पंदन जीवंत हो उठा हो। छोटे बच्चों की आंखों में उत्साह था, युवाओं के चेहरों पर गर्व था, और बुजुर्गों के मन में आशीर्वाद की गहराई। स्वस्तिवाचन मंत्रों की सामूहिक गूंज ने वातावरण को ऐसी पवित्रता से भर दिया कि चारों ओर केवल एक ही भाव प्रतिध्वनित हो रहा था — “यह भूमि केवल मिट्टी नहीं, यह हमारी मां है।”
मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित नगर संघ चालक कैलाश शाह ने कहा कि कुटुंब प्रबोधन कोई सामान्य आयोजन नहीं है, यह राष्ट्र निर्माण की जड़ है। उन्होंने कहा कि परिवार समाज की प्रथम इकाई है — यदि संवाद, संस्कार और सद्भाव सुदृढ़ होंगे, तो राष्ट्र स्वयं सशक्त होगा। उन्होंने संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत के विचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि “कुटुंब ही राष्ट्र का प्रथम विद्यालय है, जहां प्रेम, सेवा, अनुशासन और राष्ट्रभाव के संस्कार दिए जाते हैं।” कैलाश शाह ने नागरिकों से आग्रह किया कि वे अपने परिवारों में संवाद बढ़ाएं, एक-दूसरे के प्रति संवेदना जगाएं और मातृभूमि के प्रति कर्तव्यबोध को परिवार की परंपरा बनाएं। उन्होंने कहा कि जब हर घर में राष्ट्र के प्रति श्रद्धा और कर्तव्य की भावना जागृत होगी, तभी सच्चे अर्थों में रामराज्य की स्थापना संभव होगी।
कार्यक्रम में दीपों की उज्ज्वल ज्योति और राष्ट्रगीतों की गूंज के बीच स्वयंसेवकों, मातृशक्ति और युवाओं का उत्साह देखते ही बनता था। भाग सह संयोजक सुनील खरे, राष्ट्र सेविका समिति की श्रीमती यशोधरा और विभाग सह संयोजक (कुटुंब प्रबोधन) श्रीमती दीपिका पुजारी सहित अनेक प्रमुख जनों की उपस्थिति ने कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की। दीपिका जी ने अपने संयमित और प्रभावशाली संचालन से कार्यक्रम में सौंदर्य और अनुशासन दोनों का समन्वय स्थापित किया।
इस अवसर पर सह नगर कार्यवाह धर्मेंद्र मिश्रा, स्वयंसेवक रमेश पांडे और हरेंद्र सिंह सहित अनेक कार्यकर्ताओं ने अपनी सक्रिय भूमिका निभाई। जब कार्यक्रम के अंत में राष्ट्रगान की गूंज उठी, तो दीपों की लौ में जैसे एक जीवंत भाव जाग उठा — मातृभूमि की महिमा का, संस्कृति की गरिमा का और उस अमर भावना का जो हर भारतीय के हृदय में सदैव प्रज्वलित रहती है।
दीपों से सजे अखंड भारत के उस प्रांगण में केवल प्रकाश ही नहीं था, बल्कि एक विचार जल उठा था — कि जब परिवार संस्कारों से प्रकाशित होता है, तब राष्ट्र स्वयं प्रकाशमान हो उठता है।