
सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले और श्रील श्रीकामक्षीदासस्वामी के करकमलों से हुआ भव्य उद्घाटन

अवध प्रांत से 34 कार्यकर्ताओं ने की सहभागिता, कार्यनीति पर हुआ विस्तृत विमर्श
दैनिक इंडिया न्यूज़, कोयंबटूर (तमिलनाडु), 7 नवम्बर।
संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार और सांस्कृतिक पुनर्जागरण के उद्देश्य से संस्कृत भारती द्वारा आयोजित अखिल भारतीय त्रिदिवसीय अधिवेशन का आज तमिलनाडु के कोयंबटूर स्थित अमृता विश्व विद्यापीठम, एत्तिमड्डै परिसर में भव्य शुभारंभ हुआ। उद्घाटन समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले एवं श्रील श्रीकामक्षीदासस्वामी की गरिमामय उपस्थिति रही।
देशभर से आए कार्यकर्ताओं, विद्वानों और संस्कृतप्रेमियों ने इस अवसर पर यह संकल्प लिया कि संस्कृत भाषा को जन-जन की बोली के रूप में पुनः प्रतिष्ठित किया जाएगा। अधिवेशन में देश के सभी प्रांतों से प्रतिनिधियों की सहभागिता रही, जिनमें अवध प्रांत से 34 दायित्व कार्यकर्ताओं की उपस्थिति विशेष रूप से उल्लेखनीय रही।
अवध प्रांत के शोभनलाल उकील, अध्यक्ष संस्कृत भारती अवध प्रांत; जितेन्द्र प्रताप सिंह, अध्यक्ष संस्कृत भारती न्यास अवध प्रांत; प्रमोद पंडित, क्षेत्रीय संगठन मंत्री (पूर्वी उत्तर प्रदेश) तथा अनिल कुमार, प्रांत मंत्री संस्कृत भारती अवध प्रांत सहित 34 कार्यकर्ताओं ने सक्रिय रूप से सहभागिता की।
इन सभी कार्यकर्ताओं ने अधिवेशन के दौरान आयोजित विभिन्न सत्रों में अपने अनुभव साझा किए और संस्था द्वारा निर्धारित नीतियों एवं आगामी कार्ययोजनाओं से स्वयं को अवगत कराया।
अधिवेशन में संस्कृत शिक्षण के आधुनिक साधनों, प्रौद्योगिकी के माध्यम से भाषा-विस्तार, विद्यालयों और महाविद्यालयों में संस्कृत के प्रसार के उपायों पर गहन चर्चा हुई। विभिन्न प्रांतीय इकाइयों ने अपने-अपने क्षेत्रीय कार्यों की प्रस्तुतियाँ भी दीं।
संस्कृत भारती के पदाधिकारियों ने बताया कि यह अधिवेशन हर तीन वर्ष में आयोजित होता है और इसका उद्देश्य केवल भाषा का प्रचार नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति के आत्मबोध को पुनर्जीवित करना है। उन्होंने कहा कि संस्कृत हमारी वैचारिक और सांस्कृतिक जड़ों का प्रतीक है, और इसे समाज की मुख्यधारा से जोड़ना ही इस अधिवेशन का प्रमुख लक्ष्य है।
