श्री काशी विश्वनाथ धाम के पुनर्निर्माण से देश की धार्मिक एवं आध्यात्मिक पहचान सुदृढ़ हुई:सीएम

दैनिक इंडिया न्यूज

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में पूरा विश्व भारत की ओर उम्मीद भरी निगाहों से देख रहा है। आगामी 25 वर्ष भारत के लिए अमृत काल के रूप में होगा, जिसमें एक नए भारत के उत्थान को पूरी दुनिया देखेगी। देश अब आत्मनिर्भर भारत की ओर तेजी से बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि काशी आज पूरे देश का नेतृत्व कर रही है। काशी की जनता ने सांसद नहीं, प्रधानमंत्री चुनकर भेजा है।
मुख्यमंत्री जी आज जनपद वाराणसी भ्रमण के दौरान डी0ए0वी0 पी0जी0 कॉलेज में आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर आयोजित ‘चौरी-चौरा: अपराजेय समर’ के नाट्य दृश्यांकन कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि काशी जो भी आया कुछ लेकर ही लौटा है, यहाँ से कोई खाली हाथ नहीं जाता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारतवर्ष में जनभावना का सम्मान सदैव सर्वाेपरि रहा है। चौरी-चौरा की घटना उसी जनभावना की परिचायक है। चौरी-चौरा की लड़ाई सामान्य मानव एवं ग्रामीण समाज ने स्वयं लड़ी। यह अत्यन्त गौरव का विषय है कि चौरी-चौरा पर पहला नाट्य मंचन उस जगह हो रहा है, जिसका सम्बन्ध पं0 मदन मोहन मालवीय जी से है। मालवीय जी ने ही इस घटना से सम्बन्धित स्वतंत्रता सेनानियों के मुकदमे लड़कर अनेक सेनानियों को फाँसी के फंदे से बचाया। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के एक महाविद्यालय डी0ए0वी0 पी0जी0 कॉलेज द्वारा आज इस घटना का मंचन किया जाना अभिनन्दनीय है।
मुख्यमंत्री जी कहा कि श्री काशी विश्वनाथ धाम के पुनर्निर्माण से देश की धार्मिक एवं आध्यात्मिक पहचान सुदृढ़ हुई है। साथ ही, यह अर्थव्यवस्था के विकास में सहयोग कर रहा है। उन्होंने कहा कि डी0ए0वी0 पी0जी0 कॉलेज, श्री काशी विश्वनाथ धाम से समाज में हो रहे सकारात्मक परिवर्तन विशेषकर, समाज के अंतिम पायदान के व्यक्ति के जीवन स्तर में हुए बदलाव पर शोध कार्य कर रहा है।
कार्यक्रम को डी0ए0वी0 पी0जी0 कॉलेज के प्राचार्य डॉ0 सत्यदेव सिंह ने भी सम्बोधित किया।
इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के स्टाम्प एवं न्यायालय पंजीयन शुल्क राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री रवीन्द्र जायसवाल, आयुष राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण तथा शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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