कारगिल विजय दिवस की वर्षगांठ पर वीर शहीदों को नमन : राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और डिप्टी CM ने शहीदों को दी श्रद्धांजलि, वीर नारियों को किया सम्मानित

“उप्र के 76 रणबांकुरों को उनकी जन्मभूमि की मिट्टी लाकर श्रद्धांजलि दी गई”

विशिष्ठ अतिथि जे.पी. सिंह अध्यक्ष संस्कृत भारती न्यास अवध प्रान्त ने बलिदानी भूमि कलश का पूजन कर श्रद्धांजलि अर्पित की

दैनिक इंडिया न्यूज लखनऊ : कारगिल विजय दिवस के अवसर पर लखनऊ की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने बीते मंगलवार को सेंट जोसेफ स्कूल शारदा नगर पहुंचकर वीर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके परिजनों को सम्मानित किया। इस दौरान प्रदेश के उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक, जलशक्ति मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह शामिल रहें।

इस अवसर पर उप मुख्य मंत्री ब्रिजेश पाठक, विशिष्ठ अतिथि जे.पी. सिंह अध्यक्ष संस्कृत भारती न्यास अवध प्रान्त ने कारगिल युद्ध में बलिदान देने वाले उप्र के 76 रणबांकुरों को उनकी जन्मभूमि की मिट्टी लाकर बलिदानी भूमि कलश का पूजन किया और वीर शहीदों के बलिदान की प्रशंसा करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि भी अर्पित की।

राज्यपाल ने अपने संदेश में कहा कि कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय सेना ने अदम्य साहस, शौर्य और रणनीतिक कौशल का प्रदर्शन किया था। इस विजय अभियान में भारतीय सेना के कई शूरवीरों ने देश के लिए अपना बलिदान दिया जिसमें उत्तर प्रदेश के कई वीर सैनिक भी शामिल थे। भारतीय सैनिकों ने अपने पराक्रम का परिचय देते हुए 26 जुलाई को कारगिल पर विजय दिलाई थी। आज का दिन भारत के शौर्य, पराक्रम और स्वाभिमान का दिन है।

उन्होंने कहा कि कारगिल युद्ध के दौरान हमारे वीर सैनिकों के पास सर्द रात में तन ढकने के लिए गर्म कपड़े नहीं थे। पहाड़ी पर चढ़ने वाले जूतों के बिना ही हमारे जवान आगे बढ़ते रहे। यह भारतीय सेना के जांबाज ही थे, जिनके आगे विश्व की सबसे ऊंची चोटी पर लड़ी गई लड़ाई में दुश्मन बुरी तरह परास्त हुआ।

उन्होंने कहा कि सन 1999 में लड़े गए कारगिल युद्ध में उ. प्र. के जवानों ने सबसे अधिक शहादत दी। लखनऊ के पांच जांबाज मातृभूमि की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे।

प्रदेश में अब तक चार जांबाजों को परमवीर चक्र मिला है, जिसमें दो परमवीर चक्र कारगिल युद्ध के दौरान शहीद कैप्टन मनोज पांडेय और ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव को दिए गए।

उल्लेखनीय है कि आठ मई वर्ष 1999 को पाकिस्तान की छह नॉरदर्न लाइट इंफैंट्री के कैप्टेन इफ्तेखार और लांस हवलदार अब्दुल हकीम 12 सैनिकों के साथ कारगिल की आजम चौकी पर बैठे हुए थे। इन पाकिस्तानी सैनिकों ने कारगिल की ऊंची पहाड़ियों पर घुसपैठ करके अपने ठिकाने बना लिए थे।

करीब 18 हजार फीट की ऊंचाई पर कारगिल में लड़ी गई इस जंग में पाकिस्तान के 600 से ज्यादा सैनिक मारे गए, जबकि 1500 से अधिक घायल हुए थे। वही भारत केे 562 जवान शहीद हुए और 1363 घायल हुए थे। यह युद्ध विश्व के इतिहास में दुनिया के सबसे ऊंचे क्षेत्रों में लड़ी गई जंग की घटनाओं में शामिल है। यह युद्ध लगभग 60 दिनों तक चला और 26 जुलाई के दिन उसका अंत हुआ। इसमें भारत की विजय हुई।

इस युद्ध में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के खिलाफ मिग-27 और मिग-29 का भी इस्तेमाल किया था। इसके बाद जहाँ भी पाकिस्तान ने कब्जा किया, वहाँ बम गिराए गए। इसके अलावा मिग-29 की सहायता से पाकिस्तान के कई ठिकानों पर आर-77 मिसाइलों से हमला किया था।

उस दौरान देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के बीच कई बार टेलीफोन पर बात हुई थी। तब प्रधानमंत्री ने माना था कि शरीफ का अपनी सेना पर कोई नियंत्रण नहीं, बल्कि सारी ताकत जनरल परवेज मुशर्रफ के पास थी।

आपको बता दें कि कारगिल विजय दिवस, कारगिल युद्ध में भारत की स्वर्णिम और महान विजय गाथा की बानगी है। इस युद्ध में शहीद हुए नायकों के सम्मान में शहरभर में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया जिसमें
से यह कार्यक्रम अखिल भारतीय पूर्व सैनिक परिषद और उप्र के संस्कृति विभाग के तत्वाधान में सकुशल संपन्न हुआ।

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