शिशु का मौलिक अधिकार स्तनपान सर्वोत्तम आहार -प्रभारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी

धनञ्जय पाण्डेय

दैनिक इंडिया न्यूज़ मऊ। जनपद में विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जा रहा है जो कि 07अगस्त तक चलेगा।जिसका उद्देश्य समाज में जागरुकता के साथ यह संदेश देना है कि नवजात के लिए स्तनपान सर्वोत्तम आहार तथा शिशु का मौलिक अधिकार है। जन्म के पहले घंटे मां का दूध नवजात के लिए व्यापक मानसिक विकास के साथ डायरिया , निमोनिया एवं कुपोषण से बचाने और शिशु स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। इसके लिये समुदाय स्तरीय गतिविधियों के तहत जनपद के सभी ब्लाकों के अंतर्गत ग्राम सभाओं में आगनबाड़ी और आशाओं के साथ गोष्ठी कर आमजन में ब्यापक प्रचार प्रसार किया जा रहा है। यह जानकारी प्रभारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ गिरजेश चन्द्र पाठक ने दी।
प्रभारी सी.एम.ओ. डॉ जी.सी. पाठक ने बताया कि बच्चों के सर्वांगीण एवं शारीरिक विकास हेतु स्तनपान अत्यंत महत्वपूर्ण है। जिसका शिशु एवं बाल जीविता पर अहम प्रभाव पड़ता है, पूर्व के अनुभव बताते हैं कि जिन शिशुओं को 1 घंटे के अंदर स्तनपान नहीं कराया जाता है, उनमें नवजात मृत्यु दर की संभावना 33% अधिक होती है 6 माह की आयु तक शिशु को केवल स्तनपान कराने पर आम बाल्यकाल रोग जैसे दस्त एवं निमोनिया के खतरे में क्रम से 11% से 15% की कमी लाई जा सकती है।
जिला महिला चिकित्सालय नवजात शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ प्रवीण सिंह ने बताया प्रत्येक वर्ष अगस्त माह के पहले सप्ताह में विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है। इसका उद्देश्य महिलाओं को स्तनपान को समर्थन देने के साथ ही स्तनपान संबंधी अधिकार के प्रति जागरूकता प्रदान करना है। स्तनपान एक नैसर्गिक प्रक्रिया है जिससे माँ और बच्चे के बीच में आपसी लगाव बेहद मजबूत होता है। वहीं बार-बार स्तनपान कराने से लगातार दूध भी बनता रहता है। नवजात शिशु के लिए पहले ही घंटे के अंदर पीला गाढ़ा जो कोलेस्ट्रम संपूर्ण आहार होता है, आवश्यक रूप से पिलाना चाहिए। नवजात शिशु को छह माह तक सिर्फ स्तनपान कराना चाहिए और इसके बाद दो वर्ष अथवा उससे अधिक समय तक स्तनपान कराने के साथ-साथ अनुपूरक पूरक आहार भी देना चाहिए।

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