दीपावली पर्व पर प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें-हरिंद्र कुमार सिंह

दैनिक इंडिया न्यूज लखनऊ

दैनिक इंडिया न्यूज के प्रधान सम्पादक श्री हरिंद्र सिंह जी ने प्रदेश वाशियों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं देते अपने संदेश में कहा दीप से दीपावली तक यही भारत का दर्शन है, यही भारत का चिन्तन है, यही भारत की चिरन्तन संस्कृति है। भारत ने आधुनिक काल तक अनेक अन्धकार भरे युगों का सामना किया है। बड़ी-बड़ी सभ्यताओं के सूर्य अस्त हो गए, लेकिन हमारे दीप जलते रहे, क्योंकि हमने दीप जलाना नहीं छोड़ा, हमने विश्वास बढ़ाना नहीं छोड़ा। भारत ने प्रगति के प्रशस्त पथ पर अपने पराक्रम का प्रकाश अतीत में भी बिखेरा है, भविष्य में भी बिखेरेगा।
श्री सिंह ने कहा कि आज अयोध्या दीपों से दिव्य, भावनाओं से भव्य है। अयोध्या नगरी भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण के स्वर्णिम अध्याय का प्रतिबिम्ब है। उन्होंने कहा कि जब वे भगवान श्रीराम के राज्याभिषेक के लिए अयोध्या आ रहे थे, तब उनके मन में विचार उठ रहे थे कि 14 वर्ष के वनवास के बाद प्रभु श्रीराम अयोध्या आए होंगे, तब अयोध्या कैसे सजी और संवरी होगी। उन्होंने कहा कि हमने त्रेता युग की उस अयोध्या के दर्शन नहीं किए, लेकिन प्रभु श्रीराम के आशीर्वाद से आज अमृत काल में अमर अयोध्या की अलौकिकता के साक्षी बन रहे हैं। हम उस संस्कृति और सभ्यता के वाहक हैं, जिनके जीवन का पर्व और उत्सव सहज, स्वाभाविक हिस्सा रहे हैं।
श्री सिंह ने कहा कि हमारे यहां जब भी समाज ने कुछ नया किया, हमने एक नया उत्सव रच दिया। सत्य की हर विजय को हमने जितनी मजबूती से जीवन्त रखा, उसमें भारत का कोई सानी नहीं है। प्रभु श्रीराम ने हजारों वर्ष पूर्व रावण के अत्याचार का अन्त किया था, लेकिन आज भी उस घटना का एक-एक मानवीय और आध्यात्मिक सन्देश एक-एक दीपक के रूप में सतत प्रकाशित हो रहा है। दीपावली के दीपक केवल एक वस्तु नहीं हैं, यह भारत के आदर्श तथा दर्शन के जीवन्त मूल्य हैं। आज यहां जहां तक नजर जा रही है, ज्योति की जगमग, रात के ललाट पर भारत के मूलमंत्र सत्यमेव जयते की घोषणा है। यह हमारे उपनिषदों की ‘सत्य की विजय होती है’ की घोषणा है। विजय हमेशा रामरूपी सदाचार की होती है, रावणरूपी दुराचार की नहीं।
श्री सिंह ने कहा कि हमारे ऋषियों ने भौतिक दीपक में चेतन ऊर्जा के दर्शन करते हुए कहा था कि ‘दीपज्योतिः परब्रह्मः दीपज्योतिः जनार्दनः, दीपोहरतिमे पापं संध्यादीपं नमोस्तुते, शुभं करोतु कल्याणमारोग्यं सुखं सम्पदां, शत्रुवृद्धि विनाशं च दीपज्योतिः नमोस्तुति’, दीप ज्योति ब्रह्म का ही स्वरूप है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह आध्यात्मिक प्रकाश भारत की प्रगति तथा भारत के पुनरुत्थान का पथ प्रदर्शन करेगा। रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास जी ने कहा है कि ‘जगत प्रकास्य प्रकासक रामू’ अर्थात भगवान श्रीराम पूरे विश्व को प्रकाश देने वाले हैं। पूरे विश्व के लिए ज्योति पुंज की तरह हैं। यह दया और करुणा, मानवता और मर्यादा, समभाव और ममभाव, सत्य का प्रकाश है।

Share it via Social Media

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *