मदन भैया को विधान सभा की सदस्यता की शपथ दिलायी।नियम, संसदीय अनुश्रवण, याचिका,उद्घाटन बैठक विशेषाधिकार समिति

हरिंद्र सिंह दैनिक इंडिया न्यूज लखनऊ।उत्तर प्रदेश विधान सभा के मा0 अध्यक्ष, श्री सतीश महाना ने आज दिनांक 04 जनवरी, 2023 को विधान भवन स्थित राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन हॉल में जनपद मुजफ्फरनगर के विधानसभा क्षेत्र खतौली  से नवनिर्वाचित विधायक, श्री मदन भैया को विधान सभा की सदस्यता की शपथ दिलायी।


शपथ ग्रहण के इस कार्यक्रम में विधान सभा अध्यक्ष ने उन्हें संविधान,एवं विधान सभा कार्य संचालन नियमावली की प्रति भेंट की। विधान सभा अध्यक्ष ने मा0 सदस्य को बधाई देते हुए कहा कि वह विधान सभा में एक जागरूक एवं सफल विधायक के रूप में कामयाब हो और जीवन में यशस्वी हो तथा सदन में होने वाली चर्चा में हिस्सा लेकर अपने क्षेत्र की जनता  की समस्याओं के निराकरण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाये।
इस अवसर पर विधान सभा के प्रमुख सचिव श्री प्रदीप कुमार दुबे व अन्य गणमान्य व्यक्ति भी मौजूद रहे।

बिस्तार
◆लखनऊ। उत्तर प्रदेश की अठारहवीं विधान सभा की नियम, संसदीय अनुश्रवण, याचिका, विशेषाधिकार समिति (वर्ष 2022-2023) की उद्घाटन बैठक आहुत की गयी। विधान सभा अध्यक्ष ने समिति में आये हुए सभी सदस्यों का स्वागत  करते हुए कहा कि आप सभी को विदित है कि नियम समिति विधान सभा की एक अत्यन्त महत्वपूर्ण समिति है जो सदन की प्रक्रिया तथा कार्य-संचालन नियमावली के सम्बन्ध में प्राप्त महत्वपूर्ण सुझावों एवं संशोधनों पर विचार करती है नियम समिति नियमावली में ऐसे संशोधनों की सिफारिश करती है, किन्तु ऐसी सूचना के साथ संशोधन के उद्देश्य और कारणों का विवरण भी संलग्र होना चाहिये। ऐसी सूचना उपयुक्त होने की दशा में उसे नियम समिति के विचारार्थ निर्दिष्ट किया जाता है। नियम समिति ऐसे निर्दिष्ट विषयों पर विचारोपरान्त प्रतिवेदन के माध्यम से अपनी सिफारिशें सदन में प्रस्तुत करती है और सदन के पटल पर प्रतिवेदन रखे जाने के 14 दिनों के भीतर उसमें की गयी सिफारिश या सिफारिशों को समिति के पुनर्विचारार्थ निर्दिष्ट किये जाने का प्रस्ताव प्राप्त न होने की दशा में समिति द्वारा की गयी सिफारिशें सदन द्वारा स्वीकृत समझीं जाती हैं और तदनुसार उन्हें नियमों में सम्मिलित कर लिया जाता है।
◆वहीं विधान सभा की संसदीय अनुश्रवण समिति की प्रथम (उद्घाटन) बैठक में कहा कि आप सभी को विदित है कि संसदीय अनुश्रवण समिति विधान सभा की एक अत्यन्त महत्वपूर्ण समिति है जो सदन के दौरान उत्तर प्रदेश विधान सभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियमावली, 1958 के अन्तर्गत नियम-301, नियम-51 एवं माननीय अध्यक्ष, विधान सभा के अनुमोदन से इस नियमावली के अन्तर्गत   सदृश्य सूचनाएं, जो सदन में प्रस्तुत की गयी हों, के विषय में यदि माननीय सदस्य, विधान सभा, शासन द्वारा प्रस्तुत किये गये उत्तर से सन्तुष्ट न हो अथवा उत्तर तथ्यों पर आधारित न हो या शासन द्वारा उत्तर ही प्रस्तुत न किया गया हो, माननीय सदस्यों के प्रोटोकाल के उल्लंघन से सम्बन्धित प्रकरण संसदीय अनुश्रवण समिति को सन्दर्भित किये जा सकेंगे। इस प्रकार समिति अपनी संस्तुतियों के माध्यम से शासन / प्रशासन के माध्यम से जन समस्याओं को त्वरित निदान, क्षेत्रीय विकास एवं शासन की कल्याणकारी योजनाओं से जनता को लाभान्वित करने का प्रयास करती है।
◆18वीं विधान सभा की याचिका समिति (2022 2023) की प्रथम उद्घाटन बैठक में अध्यक्ष, विधान सभा ने कहा कि जैसा कि आप लोग अवगत है कि उत्तर प्रदेश विधान सभा की कार्य संचालन नियामावली, 1958 द्वारा विधान सभा से संबंधित कार्यों का क्रियान्वयन होता है। नियमावली के नियम-234 के अन्तर्गत याचिका समिति का गठन किया जाता है।
याचिकाएं माननीय सदन को सम्बोधित करके दी जाती हैं। समिति याचिकाओं के अतिरिक्त अध्यक्ष द्वारा ग्राह्य किये गये अभ्यावेदनों पर विचार करती है और उन पर सम्बन्धित विभागों की आख्या प्राप्त कर आवश्यकतानुसार साक्ष्य लेती है और अपनी संस्तुतियों के साथ उसका प्रतिवेदन सदन में प्रस्तुत होता है।
◆विधान सभा की विशेषाधिकार समिति (2022-2023) की प्रथम उद्घाटन बैठक के अवसर पर उपस्थित मा० सदस्यगण का आभार व्यक्त करते हुए श्री महाना ने कहा कि उत्तर प्रदेश विधान सभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियमावली, के अनुसार इस समिति में अध्यक्ष द्वारा नाम निर्दिष्ट 10 सदस्य होतें हैं जिनमें उपाध्यक्ष भी सम्मिलित हैं। उपाध्यक्ष, विधान सभा समिति के पदेन सभापति होते हैं। संसदीय विशेषाधिकार का उद्देश्य विधान मण्डल की प्रतिष्ठा और उसके अधिकारों की संरक्षा करना है। जैसा कि आप जानते ही है कि विधान मण्डल और उसके सदस्यों को प्राप्त विशेषाधिकार केवल उनके विधान-मण्डल के कृत्यों के संबंध में होते है, जो एक ऐसा वातावरण प्रदान करते हैं जिससे सदस्यगण सदन में स्वतंत्र तथा निर्भीक रूप से जनहित के प्रश्न उठा सकें एवं उनके विषय में अपने विचार व्यक्त कर सकें। सदन, या उसकी समितियों के सदस्यों को प्राप्त विशेषाधिकारों का उल्लंघन या उनकी उपेक्षा करना विशेषाधिकार-भंग माना जाता है। इसके अतिरिक्त, ऐसे कार्य या चूक को भी विशेषाधिकार-भंग माना जाता है जिससे सदन या उसकी किसी समिति या किसी सदस्य या अधिकारी को उसके कर्तव्य पालन में कोई बाधा या अड़चन उत्पन्न हो
उत्तर प्रदेश की अठारहवीं विधान सभा की नियम, संसदीय अनुश्रवण, याचिका, विशेषाधिकार समिति की (वर्ष 2022-2023) उद्घाटन बैठक पर कहा कि आप सभी भिज्ञ और अनुभवी सदस्य हैं। मुझे आशा है कि इस गुरुतर उत्तरदायित्व का निर्वहन आप लोग भली-भाँति करने में सक्षम होंगे। सभी नवगठित समितियों के सभी माननीय सदस्यों का मैं पुनः स्वागत करता हूँ, धन्यवाद देता हूँ कि आप सभी के विद्वतापूर्ण सुझावों से यह सभी समितियां अपने उद्देश्यों में सफल होगी।
बैठक के इस अवसर पर समिति के मा0 सदस्य एवं विधान सभा के प्रमुख सचिव श्री प्रदीप कुमार दुबे सहित अन्य अधिकारी व कर्मचारी भी उपस्थित रहें।

Share it via Social Media

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *