धनञ्जय पाण्डेय/दैनिक इंडिया न्यूज़
मधुबन,मऊ । स्थानीय तहसील क्षेत्र में नकली मिठाइयां बनाने बेचने का काम जोरों पर चल रहा है। मिलावटी लड्डू, बर्फी,और मिल्क केक बनाकर या बाहर से लाकर दुकानों पर बेचा जा रहा है । लेकिन संबंधित विभाग के अधिकरी मौन है। त्योहारों की आहट होते ही मिठाई की दुकानों पर छापेमारी शुरू हो जाएगी। हैरत की बात है कि सालभर जनता की सेहत से खिलवाड़ करने वालों की मिठाई पूरी तरह घटिया गुण्वत्ता पर आधारित है तथा नकली खोये से तैयार की जा रही है। कुछ वर्षों से महंगाई बढ़ने के कारण खासकर शक्कर तथा दूध की कीमतों में भारी उछाल आने से मिठाई के नाम पर जेब जवाब देने लगती है। मिठाई में प्रयोग होने वाला मावा या खोया भी महंगा हो गया है, लेकिन मधुबन तहसील में नकली मावे से बनी सस्ती मिठाइयों का कारोबार जोर-शोर से चल रहा है। नगर के बीच में कईं जगह लड्डू में प्रयोग होने वाली बूंदी बनाई जाती है। इसे बनाने के लिए बेसन की जगह सूजी और चावल के आटे का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसी बूंदी से बने लड्डू बाजार में बेचे जा रहे हैं। यही नहीं बर्फी और मिल्क केक भी सप्लाई किया जा रहा है। दैनिक इंडिया टीम ने कुछ ऐसी जगह पर जाकर पड़ताल की कि कहां से इन मिठाइयों को लाकर बेचा जाता है। विडंबना देखिए कि सरेआम चल रहे इस खौफनाक खेल पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया। चण्डीगढ़,उत्तर प्रदेश से मावा या खोया लाकर यह मिठाइयां तैयार की जाती हैं। जहां पर यह जहर बनाया जा रहा है वहां लड्डू की कीमत 70 रुपए किलो है। जबकि बाजार में इसे 100 रुपए किलो के हिसाब से बेचा जाता है। बर्फी, मिल्क केक 150 रुपए रसगुल्ला और गुलाब जामुन 90 रुपए किलो के हिसाब सें बेची जा रही है। सब कुछ के बावजूद भी संबंधित विभाग चुप्पी साधे बैठे हैं । सूत्रों की माने तो इन दिनों बाजारों में उपलब्ध मिठाईयों में नकली रंग और नकली मेवे के साथ ही खोवा और छेना भी नकली प्रयोग किया जा रहा है।