दैनिक इंडिया न्यूज़ लखनऊ:मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में सीएम आवास पर उत्तर प्रदेश राज्य वन्य जीव बोर्ड की 15वीं बैठक सम्पन्न हुई। बैठक में मुख्यमंत्री जी ने प्रदेश की जैव विविधता को संरक्षित करने तथा प्रदेश में ईको टूरिज्म की सम्भावनाओं को विस्तार देने सहित आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
प्रदेश सरकार द्वारा चिन्हित दुधवा नेशनल पार्क, चुका टाइगर रिजर्व, कतर्नियाघाट वाइल्ड लाइफ सेन्चुरी जैसे ईको स्पाॅट्स के लिए हेलीकाप्टर सेवा, फोरलेन रोड कनेक्टिविटी, गाइड, ठहरने एवं खाने-पीने जैसी सुविधाएं प्राथमिकता के आधार पर विकसित की जाएं। वन्यजीव संरक्षित क्षेत्रों की सड़कों के किनारे साइनेज लगाये जाएं। इन साइनेज में हाॅर्न न बजाने, वाहन गति सीमा, फायर प्रोटेक्शन जैसे विभिन्न निर्देश उल्लेखित किये जाएं।
जैव विविधता के संरक्षण की दिशा में हमें अपने प्रयास सतत रूप से जारी रखने होंगे। यह सुखद है कि नमामि गंगे परियोजना के माध्यम से अविरल और निर्मल हो रही गंगा जी में डाॅल्फिन की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है। वर्तमान में प्रदेश की अन्य नदियों में भी डाॅल्फिन देखी जा सकती हैं। लोगों में डाॅल्फिन के संरक्षण व संवर्द्धन की जागरूकता हेतु डाॅल्फिन मित्र नियुक्त करें।
प्रदेश के राज्य पशु ’बारहसिंघा’ और राज्य पक्षी ’सारस’ के संरक्षण के लिए चरणबद्ध ढंग से कार्याें को आगे बढ़ाया जाए। वन्यजीवों के संरक्षण एवं उनके संवर्द्धन के लिए नियोजित प्रयासों को और तेज किया जाए। नियोजित प्रयासों से ही प्रदेश में बाघों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वन्य जीवों के रेस्क्यू में संवेदनशीलता के साथ मानकों का पूरा ध्यान रखा जाए। राज्य में वेटलैण्ड संरक्षण और पर्यटन को बढ़ावा देने के प्रयासों के अच्छे परिणाम मिले हैं। प्राकृतिक सुषमा से परिपूर्ण प्रदेश में अब तक 10 रामसर साइट घोषित किए गए हैं। वेटलैण्ड संरक्षण के लिये लोगांे में जागरूकता बढ़ाई जाए तथा यहां पर्यटन सुविधाओं का विकास किया जाए।
जनपद संतकबीरनगर की बखीरा झील ईको टूरिज्म की अपार सम्भावनाओं को समेटे हुए है। यहां के विकास के लिए बेहतर कार्ययोजना तैयार करें। यह प्रयास स्थानीय स्तर पर रोजगार की नवीन सम्भावनाओं को भी जन्म देने वाला होगा।
जनपद महराजगंज के अन्तर्गत सोहगीबरवा वन्य जीव प्रभाग में स्थित महाव नाले के चैड़ीकरण और गहरीकरण के कार्य को तत्परता के साथ पूर्ण किया जाए। इस सम्बन्ध में वन भूमि के स्थानान्तरण के कार्य को शीघ्रता से पूरा किया जाए। वन्यजीव संरक्षित क्षेत्रों में नदियों के डेªजिंग के कार्य को सुनियोजित ढंग से सम्पन्न किया जाए। इससे जलप्लावन की समस्या का निराकरण हो सकेगा और वन्यजीवों का नुकसान भी कम किया जा सकेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वन्य जीव संरक्षित क्षेत्रों में पर्यावरण के मानकों का ध्यान रखते हुए एवं उपयोगिता के आधार पर सम्पर्क मार्गाें के निर्माण एवं चैड़ीकरण, मोबाइल टावर की स्थापना जैसे अवस्थापना कार्याें को तेजी से पूर्ण किया जाए। उन्होंने अधिकारियों को परियोजनाओं का नियमित अनुश्रवण करने के निर्देश दिए।