
दैनिक इंडिया न्यूज़, नईदिल्ली। राष्ट्रीय सनातन महासंघ के अखिल भारतीय अध्यक्ष जितेंद्र प्रताप सिंह वर्चुअल माध्यम से मीडिया से अपना अनुभव साझा करते हुए कहा रक्षाबंधन के पावन पर्व पर समस्त यातायात साधनों पर अत्यधिक भीड़ व दबाव देखने को मिला। अधिकांश ट्रेनों में लंबी प्रतीक्षा सूचियाँ यात्रियों की दुविधा और अपने परिजनों से मिलने की उत्कंठा को स्पष्ट रूप से दर्शा रही थीं। हर ओर यही भावना थी — किसी भी तरह त्योहार पर घर पहुँचना है।

इसी यात्रा के बीच जब मैं तेजस एक्सप्रेस (ट्रेन संख्या 82502) में अपनी आरक्षित सीट (पीएनआर: 2935773560, सीट संख्या: 16, कोच: E-1) पर पहुँचा, तो कोच अटेंडेंट ने स्नेहपूर्ण मुस्कान और पुष्पगुच्छ के साथ जो स्वागत किया, वह मेरे मन को गहराई तक छू गया। यह केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि सेवा की आत्मा से जुड़ा भाव था।
यात्रा के दौरान दोनों अटेंडेंट्स यात्रियों की जरूरतों का पूरा ध्यान रखते हुए, विनम्रता और समर्पण के साथ सेवा में रत रहे। प्रत्येक यात्री से व्यक्तिगत संवाद कर उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति करना और उन्हें संतुष्ट रखना, उनकी कार्यशैली की खास बात थी।
जब हर यात्रा में यह अनुभव बार-बार दोहराया जाए, तो यह संयोग नहीं, बल्कि केन्द्र सरकार, भारतीय रेल विभाग, और रेल कर्मचारियों की सोच में आए सकारात्मक परिवर्तन का प्रतीक बन जाता है। यह सिर्फ एक ट्रेन की कहानी नहीं, बल्कि बदलते भारत के नए दृष्टिकोण, सेवा-भावना, और विकासशील राष्ट्र की प्रगतिशील सोच की झलक है।
तेजस एक्सप्रेस न केवल गति और आधुनिकता की पहचान है, बल्कि यह भारतीय रेलवे की उस उन्नति का प्रतीक है, जिसमें यात्री अब सिर्फ मुसाफिर नहीं, बल्कि सम्माननीय अतिथि बन चुके हैं।
यह है नया भारत — आत्मनिर्भर, संवेदनशील और सेवा में अग्रणी।