
दैनिक इंडिया न्यूज़, प्रयागराज – महाकुंभ में अब तक 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालु गंगा में आस्था की डुबकी लगा चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद गंगा जल की शुद्धता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। पद्मश्री वैज्ञानिक डॉ. अजय कुमार सोनकर ने अपनी प्रयोगशाला में यह सिद्ध किया है कि गंगा जल न केवल स्नान योग्य है, बल्कि अल्कलाइन वाटर से भी अधिक शुद्ध है।
वैज्ञानिक प्रमाण: गंगा जल पूरी तरह स्वच्छ और सुरक्षित

डॉ. सोनकर ने स्वयं संगम नोज, अरैल सहित पांच प्रमुख स्नान घाटों से जल के नमूने एकत्र कर प्रयोगशाला में परीक्षण किया। तीन महीने के शोध में यह निष्कर्ष निकला कि गंगा जल पूरी तरह से स्वच्छ और सुरक्षित है। शोध में पाया गया कि 1100 प्रकार के बैक्टीरियोफेज की उपस्थिति के कारण इसमें हानिकारक बैक्टीरिया पनप ही नहीं सकते।
गंगा जल की विशेषताएँ

✅ बैक्टीरियल ग्रोथ नहीं: करोड़ों श्रद्धालुओं के स्नान के बावजूद जल में न तो बैक्टीरिया की वृद्धि हुई और न ही किसी प्रकार की दुर्गंध पाई गई।
✅ पीएच स्तर 8.4 – 8.6: परीक्षण में पाया गया कि गंगा जल का पीएच स्तर 8.4 से 8.6 के बीच है, जो इसे अत्यधिक शुद्ध और स्वास्थ्यवर्धक बनाता है।
✅ 14 घंटे तक परीक्षण: जल के नमूनों को 14 घंटे तक इन्क्यूबेशन तापमान पर रखने के बावजूद कोई हानिकारक बैक्टीरिया विकसित नहीं हुआ।
प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी को धन्यवाद

राष्ट्रीय सनातन महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष जितेंद्र प्रताप सिंह ने इस शोध के आधार पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि महाकुंभ में गंगा जल की शुद्धता को बनाए रखना एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। उन्होंने यह भी विश्वास जताया कि सनातन संस्कृति के ये दोनों प्रहरी भारत को विश्व गुरु बनाएंगे।
गंगा: प्राचीन ऋषियों के शोध का वैज्ञानिक प्रमाण
जितेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि हमारे प्राचीन ऋषियों ने हजारों वर्ष पूर्व गंगा की शुद्धता पर जो शोध किए थे, वे आज वैज्ञानिक रूप से भी सिद्ध हो रहे हैं। गंगा को देवताओं की देवी कहा गया, क्योंकि इसमें अद्भुत शुद्धिकरण क्षमता है, जो स्नान और सेवन से हर रूप में पवित्र कर देती है। उन्होंने गंगा जल की वैज्ञानिक प्रमाणिकता को आधुनिक विज्ञान और सनातन परंपरा का अद्भुत समन्वय बताया।
गंगा जल की शुद्धता पर खुली चुनौती
डॉ. सोनकर ने गंगा जल की स्वच्छता पर संदेह करने वालों को खुद प्रयोगशाला में आकर जांच करने की खुली चुनौती दी। उन्होंने कहा कि यदि गंगा जल वास्तव में दूषित होता, तो अब तक स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएँ सामने आ चुकी होतीं। गंगा जल की स्व-शुद्धिकरण क्षमता अद्भुत है, और यह हर प्रकार से स्नान व उपयोग के लिए सुरक्षित है।