मठ-मंदिर अतिक्रमण मुक्त होने का ऐलान सिर्फ वादा साबित हो रहा है

मोदी जी के संसदीय क्षेत्र में योगी जी, एक नजर इधर भी

दैनिक इंडिया न्यूज़,वाराणसी।मठ-मंदिरों को कब्जे और अतिक्रमण से मुक्त कराने का सरकारी ऐलान कागजों तक सीमित दिखाई दे रहा है। जमीनी हकीकत इससे उलट है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में ही ऐतिहासिक मंदिरों पर अवैध कब्जा और अतिक्रमण की स्थिति गंभीर रूप ले चुकी है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण गोदौलिया चौराहे से कुछ ही दूरी पर स्थित काली मंदिर परिसर का गौतमेश्वर महादेव मंदिर है, जो वर्षों से कब्जे और व्यावसायिक उपयोग की मार झेल रहा है।

मंदिर परिसर में आधा दर्जन से अधिक दुकानें खुल चुकी हैं। इसके अलावा मंदिर की भूमि पर अवैध रूप से गाय का तबेला, रेस्टोरेंट और गाड़ियों की पार्किंग भी संचालित की जा रही है। इससे मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। स्थिति यह है कि मंदिर का नाम और पहचान तक दुकानों के साइनबोर्ड के बीच गुम हो गई है।

कलात्मक सौंदर्य और उपेक्षा

गौतमेश्वर महादेव मंदिर अपनी अनूठी कलात्मक नक्काशी और पत्थरों पर की गई जालीदार कारीगरी के लिए प्रसिद्ध है। यह धार्मिक पर्यटन के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। लेकिन अवैध अतिक्रमण और कब्जे ने इसके अस्तित्व पर संकट खड़ा कर दिया है।

भू-माफियाओं की नजर

विशाल परिसर होने के कारण यह मंदिर लंबे समय से भू-माफियाओं की नजर में है। परिसर में फैला अतिक्रमण इस तथ्य की पुष्टि करता है कि धार्मिक धरोहर को मुनाफे का साधन बना लिया गया है।

प्रशासनिक पहल की दरकार

गौतमेश्वर महादेव मंदिर को अतिक्रमण और अवैध कब्जों से मुक्त कराने के लिए ठोस प्रशासनिक पहल की तत्काल जरूरत है। यदि इसे संरक्षित कर विकसित किया जाए तो यह न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र बनेगा, बल्कि वाराणसी के धार्मिक पर्यटन को भी नई ऊँचाई देगा।

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