
दैनिक इंडिया न्यूज़, लखनऊ, 28 फरवरी 2025 – कुर्सी रोड स्थित स्टेट सनातन आश्रम में आज एक भव्य आध्यात्मिक अनुष्ठान में महामंडलेश्वर स्वामी अभयानंद सरस्वती जी का पट्टाभिषेक संपन्न हुआ। इस शुभ अवसर पर आश्रम की मुख्य महंत स्वामी सनातन श्रुति जी ने विधिवत वैदिक मंत्रोच्चार और पारंपरिक अनुष्ठान के साथ उन्हें आश्रम का संरक्षक एवं अध्यक्ष घोषित किया। इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी सैकड़ों श्रद्धालु, संतगण एवं आश्रम के ट्रस्टियों की गरिमामयी उपस्थिति रही।
वैदिक अनुष्ठान और आध्यात्मिक प्रवचन

समारोह के दौरान स्वामी अभयानंद सरस्वती जी ने भगवद गीता और ईशोपनिषद् के महत्वपूर्ण श्लोकों का उल्लेख करते हुए समवाय एवं संयोगज संबंध की गूढ़ व्याख्या की। उन्होंने बताया कि समवाय एक अविनाभावी संबंध है, जो दो तत्वों को अखंड रूप से जोड़ता है, जैसे आत्मा और परमात्मा, सूर्य और प्रकाश। वहीं, संयोगज संबंध पंचमहाभूतों के संयोजन से निर्मित होता है, जो सृष्टि में संतुलन बनाए रखता है।
उन्होंने ईशोपनिषद् के प्रसिद्ध श्लोक—
“ईशा वास्यमिदं सर्वं यत्किञ्च जगत्यां जगत्।
तेन त्यक्तेन भुञ्जीथा मा गृधः कस्यस्विद्धनम्॥”
का संदर्भ देते हुए कहा कि जब मनुष्य त्याग और संयम के साथ जीवन व्यतीत करता है, तभी उसे सच्ची शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार पर मंथन

पट्टाभिषेक के उपरांत आश्रम की भावी योजनाओं पर विचार-विमर्श किया गया। स्वामी अभयानंद सरस्वती जी ने बताया कि आश्रम जल्द ही मासिक पत्रिका का प्रकाशन करेगा, जिसमें सनातन धर्म, महापुरुषों के विचार, वेदांत दर्शन और गौ-सेवा से जुड़ी सामग्री प्रकाशित होगी।
उन्होंने कहा कि सनातन धर्म की शिक्षाएं सार्वभौमिक हैं और इनका प्रचार-प्रसार करना ही उनका परम लक्ष्य रहेगा। आश्रम पहले से ही लखनऊ, हरिद्वार, मेरठ, महोली (सीतापुर), दिल्ली और मुंबई में संचालित हो रहा है, जहां वेद, गौ-सेवा और वेदांत शिक्षा दी जाती है।
स्वामी सनातन श्रीजी का योगदान
स्वामी अभयानंद सरस्वती जी ने अपने प्रवचन में स्वामी सनातन श्रीजी के योगदान को भी याद किया। सनातन आश्रम के संस्थापक स्वामी सनातन श्रीजी ने 1960 में सन्यास ग्रहण किया था। वे पूर्व में कोलकाता मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस और एमडी कर चुके थे और दिल्ली एम्स एवं इंग्लैंड में भी सेवा दे चुके थे। उनका जन्म 1912 में मध्य प्रदेश के शिवपुरी में हुआ था और वे 28 फरवरी 2017 को ब्रह्मलीन हो गए थे।
संरक्षक के रूप में नई जिम्मेदारियां
आज के आयोजन के साथ ही स्वामी अभयानंद सरस्वती जी अब आधिकारिक रूप से स्टेट सनातन आश्रम के अध्यक्ष एवं संरक्षक बन गए हैं। वे आश्रम की चिंतनधारा, परंपराओं और सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार को आगे बढ़ाने के साथ-साथ भक्तों के आध्यात्मिक उत्थान हेतु सतत समर्पित रहेंगे।
इस आध्यात्मिक आयोजन ने श्रद्धालुओं को एक नई ऊर्जा और दिशा प्रदान की, जिससे संपूर्ण वातावरण आध्यात्मिक ओज से ओतप्रोत हो गया।