

दैनिक इंडिया न्यूज़,मऊ/घोसी: घोसी क्षेत्र में सरकारी संपत्ति को तहस-नहस करने का एक बेहद गंभीर मामला सामने आया है, जहाँ दबंगों ने आपसी रंजिश में ग्राम प्रधान द्वारा सरकारी अनुदान से निर्मित खड़ंजे को पूरी तरह उखाड़ डाला और उसकी ईंटें तक चुरा लीं। पीड़ित ग्रामीण द्वारा पुलिस को बार-बार शिकायत दिए जाने के बावजूद, कोतवाली पुलिस ने इस मामले पर आँखें मूंद रखी हैं। पुलिस की यह संदिग्ध चुप्पी अपराधियों के हौसले बुलंद कर रही है और योगी सरकार के विकास के दावों को पलीता लगा रही है।
दरसल, यह पूरा मामला बनफा गाँव के विकास पर दबंगों के सीधे हमले जैसा है। पीड़ित सा० ने कोतवाली में दी तहरीर में बताया है कि उनके घर से चकमार्ग संख्या 167 तक, जो ग्राम प्रधान द्वारा सरकारी अनुदान से 18 वर्ष पूर्व लगवाया गया था, उसे गाँव के ही रोहित यादव, राहुल, योगेश और रामध्यान सहित अन्य लोगों ने मिलकर उखाड़ना शुरू कर दिया। यह कृत्य सरकारी विकास को तहस-नहस करने का सीधा दुस्साहस है।
पीड़ित ने बताया कि पहली बार 14 सितंबर 2025 को जब यह तोड़फोड़ शुरू हुई, तो उन्होंने तुरंत 112 नंबर पर फोन कर कार्रवाई रुकवाई थी। इसके बाद, जिलाधिकारी मऊ और सी.डी.ओ. को भी शिकायत दी गई, जिसकी जाँच में ग्राम विकास अधिकारी ने भी खड़ंजा मौजूद होने की पुष्टि की थी। इतने स्पष्ट प्रमाण के बावजूद, दोषियों पर उस समय कोई कार्रवाई नहीं हुई।
पुलिस की ढीली कार्रवाई का फायदा उठाते हुए, दबंगों के हौसले इतने बढ़ गए कि उन्होंने एक बार फिर दुस्साहस किया। पीड़ित के अनुसार, 26 अक्टूबर 2025 की सुबह 5 बजे विपक्षीगणों ने मौके का फायदा उठाकर लगभग दो भाग सरकारी खड़ंजा की ईंटें उखाड़ लीं और चुराकर फरार हो गए। जब पीड़ित ने उन्हें रोकने की कोशिश की, तो उन्हें माँ-बहन की गालियाँ दी गईं और जान से मारने की धमकी दी गई। यह मामला न केवल सरकारी संपत्ति की चोरी और आपराधिक अतिक्रमण का है, बल्कि यह दिखाता है कि स्थानीय पुलिस के मौन रहने से दबंगों को कितनी खुली छूट मिल गई है।
