लखनऊ से दहाड़… लेकिन सवाल अभी बाकी हैं!
7 मई की रात पाकिस्तान ने फिर आग उगली।
क्या उन्हें लगा भारत चुप रहेगा?
लेकिन 8 मई की रात… सब कुछ बदल गया।
क्या लखनऊ से ऑपरेशन सिंदूर की कमान चली?
क्या प्रधानमंत्री के इशारे पर रक्षामंत्री ने चुपचाप आदेश दिया?
क्या NSA ने सिर हिलाते ही वायुसेना को खुली छूट दे दी?
रात 12 बजे से 4 बजे तक – 11 मिसाइलें क्या पाकिस्तान की नींव हिला गईं?
क्या रावलपिंडी, जैकबाबाद और सर्गोधा अब सिर्फ नाम रह गए हैं?
क्या ब्रह्मोस ने उन ठिकानों को छुआ जहां पाकिस्तान न्यूक्लियर बम छिपा रहा था?
1:44 AM – धरती हिली… क्या यह भूकंप था या बंकर का विस्फोट?
3:40 AM – दूसरा झटका… चेतावनी या युद्ध की आहट?
क्या पाकिस्तान ने पहली बार अपने ही देश में NCA की आपात बैठक बुलाई?
क्या उन्हें समझ आ गया कि अगली बारी में सिर्फ अस्तित्व मिटेगा?
अमेरिका डरा या चेताया?
क्या ट्रंप ने फोन कर कहा – “रुको… मेरी सियासत का समय अभी बाकी है”?
क्या भारत-पाक युद्ध से अमेरिका की “साउथ एशिया डील” खतरे में थी?
क्या पाकिस्तान ने “सीजफायर” का झंडा उठाया… या सफेद झंडा?
चीन की बेचैनी और पाकिस्तान का ‘नया नाटक’
चीन क्यों भड़का?
क्या उसे लगा खेल से बाहर कर दिया गया?
क्या पाकिस्तान ने दोबारा गोली चलाकर चीन की नजरों में खुद को बचाया?
सबसे बड़ा सवाल — क्या भारत ने ‘लक्ष्मण रेखा’ पार कर दी है?
क्या भारत ने पाकिस्तान के न्यूक्लियर बंकर को छू लिया है?
क्या हमारे पायलट F-16 से पहले उड़ चुके थे?
क्या अब भारत केवल प्रतिक्रिया नहीं देता… निर्णायक चोट करता है?
लखनऊ की रणनीति – क्या यहीं से युद्ध की दिशा बदली?
क्या यह लखनऊ से निकली रणनीति थी, जिसने पाकिस्तान की नींव हिला दी?
क्या उत्तर प्रदेश अब सिर्फ राजनीति नहीं… राष्ट्रीय सुरक्षा की भी धुरी बन गया है?
और अंत में — क्या आप तैयार हैं उस भारत के लिए…?
जो अब सिर्फ सहता नहीं, फैसला करता है।
जो अब चेतावनी नहीं देता, एक्शन करता है।
जो अब इतिहास नहीं दोहराता, नया इतिहास रचता है।
क्या आप चाहते हैं कि ये सवाल सिर्फ सवाल न रहें… जवाब बनें?
सोचिए मत… जवाब दीजिए!