दैनिक इंडिया न्यूज़ 7 जुलाई 2024 ,गन्नाथपुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा इस वर्ष भी भक्तों के विशाल जन सैलाब के साथ संपन्न हुई। इस धार्मिक उत्सव में शामिल होने के लिए देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पहुंचे। भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के रथों को खींचते समय श्रद्धालुओं की अपार श्रद्धा और उत्साह देखने लायक था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संबोधन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पावन पर्व पर देशवासियों को संबोधित किया। उन्होंने कहा, “भगवान जगन्नाथ की यह रथ यात्रा हमारे सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर का प्रतीक है। यह पर्व हमें एकता, भाईचारे और धार्मिक सहिष्णुता का संदेश देता है। मैं सभी देशवासियों से आग्रह करता हूँ कि वे इस अवसर पर भगवान जगन्नाथ से आशीर्वाद प्राप्त करें और देश की प्रगति में अपना योगदान दें।”
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का संदेश
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी इस अवसर पर देशवासियों को शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने कहा, “भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा एक विशेष पर्व है, जो हमारे देश की धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक है। यह पर्व हमें ईश्वर की भक्ति और उनकी कृपा के प्रति समर्पण का संदेश देता है।”
ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी
ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी ने कहा, “भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा हमारे राज्य के लिए गर्व का विषय है। यह पर्व न केवल ओडिशा बल्कि पूरे देश के लोगों के लिए महत्वपूर्ण है। मैं सभी श्रद्धालुओं को शुभकामनाएँ देता हूँ और भगवान जगन्नाथ से प्रार्थना करता हूँ कि वे सभी को सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करें।” रथ यात्रा के दौरान एक श्रद्धालु की मृत्यु हो गई धक्का लगने के कारण जिसमें मुख्यमंत्री ने श्रद्धालुओं के प्रति दुख जताया और समस्त श्रद्धालुओं से आग्रह किया भगवान के ऐसे कार्य में आप लोग कोशिश करें कि धक्का मुक्के न होने पाए पीड़ित परिवार के प्रति संवेदना ही जाहिर किया
रथ यात्रा का भव्य आयोजन
रथ यात्रा के दौरान जगन्नाथपुरी की सड़कों पर एक भव्य और रंगारंग दृश्य देखने को मिला। भगवान जगन्नाथ के तीन विशाल रथ – नंदीघोष, तालध्वज और देवदलन – को श्रद्धालुओं द्वारा खींचा गया। भक्तों का उत्साह और उनकी भक्ति के दर्शन करते ही बनते थे। इस पावन अवसर पर पुरी में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे और प्रशासन ने यात्रियों की सुविधा के लिए विशेष प्रबंध किए थे।
सांस्कृतिक कार्यक्रम और परंपरागत रिवाज
रथ यात्रा के दौरान कई सांस्कृतिक कार्यक्रम और धार्मिक अनुष्ठान भी आयोजित किए गए। भक्तों ने पारंपरिक वेशभूषा में भगवान जगन्नाथ के गीत और भजन गाए। इस अवसर पर जगन्नाथ मंदिर को भव्य तरीके से सजाया गया और लाखों दीयों से प्रज्ज्वलित किया गया। इस अद्भुत दृश्य ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
भगवान जगन्नाथ की कथा
रथ यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को भगवान जगन्नाथ की प्रमुख कथा बार-बार सुनाई जाती है। इस कथा के अनुसार, भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की मूर्तियाँ विशेष रूप से नीम की लकड़ी से बनाई जाती हैं। एक अन्य कथा में कहा जाता है कि भगवान जगन्नाथ की मूर्ति में स्वयं भगवान विष्णु का वास होता है। इस यात्रा के दौरान, भगवान जगन्नाथ को उनकी मौसी के घर, गुंडिचा मंदिर, ले जाया जाता है, जहाँ वे कुछ दिन बिताते हैं और फिर वापस जगन्नाथ मंदिर लौटते हैं। यह यात्रा भगवान के भक्तों के प्रति उनके प्रेम और करुणा का प्रतीक है।
सामाजिक और आर्थिक प्रभाव
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इस अवसर पर पुरी में विभिन्न व्यापारिक गतिविधियाँ भी बढ़ती हैं, जिससे स्थानीय व्यापारियों को लाभ होता है। रथ यात्रा के दौरान स्थानीय हस्तशिल्प और खान-पान के स्टॉल भी लगाए जाते हैं, जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र होते हैं।
श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह आस्था और विश्वास का प्रतीक है। यह पर्व हमें हमारी परंपराओं और धार्मिक मान्यताओं से जोड़ता है। इस वर्ष की रथ यात्रा ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि भगवान जगन्नाथ के प्रति श्रद्धालुओं की भक्ति अटूट है और यह पर्व हमारे देश की धार्मिक विविधता का जीवंत उदाहरण है।
इस प्रकार, भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा ने इस वर्ष भी भक्तों के दिलों में अपनी विशेष छाप छोड़ी। भक्तों का उत्साह और आस्था इस पावन पर्व को और भी विशेष बना देती है।