ब्यूरो दैनिक इंडिया न्यूज
संस्कृतभारती न्यास अवधप्रान्त के अध्यक्ष परम् आदरणीय निष्काम कर्मयोगी प्रज्ञ पुरुष श्री जेपी सिंह जी ने समस्त प्रदेश वासियों को हार्दिक शुभकामनाएं ज्ञापित की।श्री सिंह ने अपने संदेश में कहा आषाढ़ माह की पूर्णिमा के दिन गुरु पूर्णिमा का उत्सव मनाया जाता है।यह सनातनियों/हिन्दुओ के श्रेष्ठ रचयिता वेदव्यास जी जिन्होंने महाभारत की रचना की थी, उनके जन्मदिन के अवसर पर गुरु पूर्णिमा हर साल मनाई जाती है। इस अवसर पर संस्कृतभारती न्यासअवधप्रान्त महर्षि वेदव्यास विशेषांक का प्रकाशन अगस्त माह मे संस्कृत सप्ताह मे करने जा रहा है
आगे श्री कहते हैं सामान्य गुरु कान फूंकते है जब कि अवतारी पुरुष श्रेष्ठ महापुरुष सतगुरु-प्राण फूंकते हैं। उनका स्पर्श, दृष्टि व कृपा ही पर्याप्त हैं। ऐसे गुरु जब आते है तब अनेकों विवेकानन्द, महर्षि दयानन्द, गुरु विरजानन्द, संत एकनाथ, गुरु जनार्दन नाथ, पंत निवृत्ति नाथ, गुरु गहिनी नाथ, योगी अनिर्वाण, गुरु स्वामी निगमानन्द, आद्य शंकराचार्य, गुरु गोविन्दपाद कीनाराम, गुरु कालूराम तैलंग स्वामी, गुरु भगीरथ स्वामी, महाप्रभु चैतन्य, गुरु ईश्वरपुरी गुरु गोरक्षनाथ जैसी महानात्माएं विनिर्मित हो जाती है। अंदर से गुरु का हृदय प्रेम से लबालब होता है बाहर से उसका व्यवहार कैसा भी हों उसके हाथ में तो हथौड़ा है जो अहंकार को चकनाचूर कर डालता है ताकि एक नया व्यक्ति विनिर्मित हो।
गुरु का अर्थ है सोयों में जगा हुआ व्यक्ति, अंधों में आंख वाला व्यक्ति। गुरु का अर्थ है वहां अब सब कुछ मिट गया है मात्र परमात्मा ही परमात्मा है वहां बस! ऐसे क्षणों में जब हमें परमात्मा बहुत दूर मालूम पड़ता है, सद्गुरु ही उपयोगी हो सकता है क्योंकि वह हमारे जैसा है।